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अस्पताल में संसाधन का है अभाव

लापरवाही. रेफरल व अनुमंडलीय दर्जा के पेंच में फंसा कर्मियों का वेतन अनुमंडल अस्पताल को दर्जा मिले सात वर्ष हो गये. लेकिन इसके लिए अस्पताल को समुचित संसाधन से दूर रखा गया. साथ ही मरीजों को उपलब्ध होने वाली सुविधाएं तो दूर की बात रही, यहां तक कि कर्मियों को भी उक्त सुविधा से वंचित […]

लापरवाही. रेफरल व अनुमंडलीय दर्जा के पेंच में फंसा कर्मियों का वेतन

अनुमंडल अस्पताल को दर्जा मिले सात वर्ष हो गये. लेकिन इसके लिए अस्पताल को समुचित संसाधन से दूर रखा गया. साथ ही मरीजों को उपलब्ध होने वाली सुविधाएं तो दूर की बात रही, यहां तक कि कर्मियों को भी उक्त सुविधा से वंचित रखा जा रहा है.
सुपौल : त्रिवेणीगंज रेफरल अस्पताल को अनुमंडल अस्पताल का दर्जा मिले सात वर्ष बीत गये. लेकिन इसकी समुचित जानकारी ना तो अस्पताल प्रबंधन को है और ना ही जिला स्वास्थ्य समिति को ही. यहां तक कि इसकी समुचित जानकारी देने से सभी परहेज बरतते रहे हैं. जिस कारण मामला पेचिदा बना हुआ है. आलम यह है कि अनुमंडल अस्पताल को दर्जा मिले सात वर्ष हो गये. लेकिन इसके लिए अस्पताल को समुचित संसाधन से दूर रखा गया.
साथ ही मरीजों को उपलब्ध होने वाली सुविधाएं तो दूर की बात रही, यहां तक कि कर्मियों को भी उक्त सुविधा से वंचित रखा जा रहा है. अब सवाल उठना लाजिमी है कि उक्त सुविधा प्रदान कराने की जिम्मेवारी किनके ऊपर है. उक्त मामले का खुलासा तब हुआ जब जिला कोषागार द्वारा चिकित्सकों के वेतन पर रोक लगायी गयी.
एक साल से नहीं मिला है कर्मियों को वेतन
गौरतलब हो कि उक्त अस्पताल के अधिकांश कर्मियों को बीते कई महीनों से वेतन का लाभ नहीं मिल रहा था. क्योंकि कोषागार ने चिकित्सकों के मानदेय पर रोक लगाते हुए अनुमंडल अस्पताल का दर्जा संबंधित कागज की मांग जिला स्वास्थ्य समिति से कर दी. मामले में चौकाने वाली बात यह है कि अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा संबंधित पेंच के कारण विगत करीब एक साल से त्रिवेणीगंज में कार्यरत अधिकांश डॉक्टरों व कर्मियों का वेतन लंबित पड़ा है.
जिस वजह से कई डॉक्टरों व कर्मियों को वेतन नहीं मिलने के कारण भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक चिकित्सक ने बताया कि अनुमंडल अस्पताल उत्क्रमित नहीं होने के पीछे गहरा षड्यंत्र रचा गया. जबकि सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार कैबिनेट द्वारा ऐसे प्रस्ताव लाती है जिसे हर हाल में पूरा किया जाना चाहिए. बावजूद इसके विभागीय लापरवाही के कारण इसे समय पर पूरा नहीं किया जाता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
रेफरल और अनुमंडलीय अस्पताल के पेंच में फंसे वेतन को लेकर कोषागार पदाधिकारी किशोर कुमार कामत ने बताया कि वेतन का आवंटन रेफरल अस्पताल के नाम से भेजा गया है. बताया कि जब तक सीएस द्वारा संशोधित कर अनुमंडलीय अस्पताल के नाम से पत्र निर्गत नहीं होता. तब तक वेतन रिलीज करना संभव नहीं होगा. इस बाबत सीएस डॉ रामेस्वर साफी ने बताया कि पत्र तैयार कर ली गयी है. रविवार होने के कारण कोषागार में पत्र जमा नहीं हुआ, सोमवार को हर हाल में समस्या का हल करवा लिया जायेगा.

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