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सामस में प्राचीन प्रतिमा के दर्शन को उमड़े लोग

बरबीघा : राज्य स्तर पर विष्णु धाम के नाम से प्रसिद्ध प्रखंड के सामस गांव में शनिवार को तालाब खुदाई के दौरान पाल कालीन प्राचीनतम काले पत्थर की ऐतिहासिक ढाई फुट ऊंची लक्ष्मी माता की प्रतिमा प्राप्त हुई है. 1992 ईसवीं में इसी तालाब की खुदाई के दौरान भगवान विष्णु की 7.5 फुट ऊंची और […]

बरबीघा : राज्य स्तर पर विष्णु धाम के नाम से प्रसिद्ध प्रखंड के सामस गांव में शनिवार को तालाब खुदाई के दौरान पाल कालीन प्राचीनतम काले पत्थर की ऐतिहासिक ढाई फुट ऊंची लक्ष्मी माता की प्रतिमा प्राप्त हुई है. 1992 ईसवीं में इसी तालाब की खुदाई के दौरान भगवान विष्णु की 7.5 फुट ऊंची और 3.5 फुट चौड़ी पाल कालीन प्रतिमा प्राप्त हुई थी. माता लक्ष्मी की प्रतिमा प्राप्ति का समाचार मिलते ही आस-पास के क्षेत्रों से सैकड़ों की तादाद में प्रतिमा दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा .

लोगों के बीच भगवान विष्णु की प्रतिमा के उत्खनन के 25 वर्षों के बाद उनकी पत्नी के रूप में सर्वविदित माता लक्ष्मी की प्रतिमा का उत्खनन क्षेत्र के लिए सौभाग्य लाने वाला बताया जा रहा है . भगवान विष्णु की प्रतिमा की भव्यता एवं उसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए आचार्य कुणाल ने जिले में धार्मिक न्यास परिषद का गठन कर एवं प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. कृष्ण मुरारी प्रसाद सिंह को अध्यक्ष और ख्याति प्राप्त साहित्यकार अरविंद मानव को सचिव मनोनीत करते हुए प्रतिमा के ऊपर तिरुपति बालाजी के स्वरूप वाले मंदिर निर्माण आरंभ करने की सलाह दी थी .

विगत माह राज्य के पर्यटन मंत्री के आगमन के पश्चात मंदिर परिसर में यह घोषणा की गई थी. किसान विष्णु धाम को पड़ोस के पावापुरी स्थित भगवान महावीर के जल मंदिर, नालंदा विश्वविद्यालय, राजगीर के ऐतिहासिक स्थल एवं अन्य पर्यटन स्थलों से सामस विष्णु धाम को भी जोड़ा जाएगा. उन्होंने यह भी कहा था कि आने वाले समय में राज्यस्तरीय मेला के आयोजन का भी प्रयास किया जाएगा .तिरुपति स्थित भगवान विष्णु की प्रतिमा की ऊंचाई 6.5 फुट है ,

जबकि सामस विष्णु धाम की विष्णु प्रतिमा 7.5 फुट है. इस तरह से अब तक किए गए अनुसंधान के मुताबिक यह विश्व की सबसे बड़ी विष्णु प्रतिमा है. जिसकी पूजा की जा सकती है. देश की सबसे बड़ी विष्णु प्रतिमा 10.5 फुट ऊंची दिल्ली के संग्रहालय में है, जो सनातन धर्म के अनुसार पूजे जाने योग्य पत्थर से निर्मित नहीं है.

काले ग्रेनाइट कि भगवान विष्णु और लक्ष्मी की प्रतिमा के उत्खनन से मंदिर निर्माण को और गति मिलेगी ऐसी संभावना न्यास परिषद के जिला अध्यक्ष डॉक्टर कृष्ण मुरारी प्रसाद सिंह ने इस अवसर पर उत्साहित होकर कहा.
कहते हैं सचिव :-
अरविंद मानव ( धार्मिक न्यास परिषद शेखपुरा) भगवान विष्णु की प्रतिमा को 5 जुलाई 1992 में पोखर से उत्खनित की गयी है. मूर्ति पहले से ही विद्यमान थी, लेकिन उसका अधिकांश जमीन के अंदर था. यह लक्ष्मी जी कि जो प्रतिमा प्रगट हुई है. वह पोखर की खुदाई में आज निकली है. हमलोगों का विश्वास है कि पोखर में और भी प्राचीन मूर्तियां दबी हो सकती है. अगर विधिवत खुदाई हो तो यहां से प्राचीन अवशेष प्राप्त हो सकते हैं .

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