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ट्रैक्टर कर रहे पायलट चैनल का निर्माण

गंडक नदी की त्रासदी को रोकने के लिए 15.89 करोड़ रुपये सरकार ने आवंटित किये हैं. इसके अलावा गाइड बांध के लिए 65.80 करोड़ का आवंटन है. पर अधिकारियों की सुस्ती से समय पर बचाव कार्य पूरा कराने पर सवाल उठने लगे हैं. गोपालगंज : कुचायकोट प्रखंड के कालामटिहनिया पिछले पांच वर्षों से गंडक नदी […]

गंडक नदी की त्रासदी को रोकने के लिए 15.89 करोड़ रुपये सरकार ने आवंटित किये हैं. इसके अलावा गाइड बांध के लिए 65.80 करोड़ का आवंटन है. पर अधिकारियों की सुस्ती से समय पर बचाव कार्य पूरा कराने पर सवाल उठने लगे हैं.
गोपालगंज : कुचायकोट प्रखंड के कालामटिहनिया पिछले पांच वर्षों से गंडक नदी की त्रासदी को झेल रहा है. नदी की त्रासदी पंचायत के एक दर्जन गांवों के अस्तित्व को मिटा चुकी है. यहां के लोग नदी की त्रासदी को रोकने के लिए धरना, प्रदर्शन, आंदोलन, अनशन, जल सत्याग्रह आंदोलन कर चुके हैं.
आंदोलन के बाद यहां बचाव कार्य तो शुरू हो गया. लेकिन, बड़े पैमाने पर बचाव कार्य में धांधली की जा रही है. यही नहीं पायलट चैनल का निर्माण कालामटिहनिया में दो किमी लंबा करना है. इसके लिए गाइड बांध के निर्माण कार्य में लगे ट्रैक्टरों को नदी के उस पार पायलट चैनल के निर्माण कार्य में लगा दिया गया है.
ट्रैक्टर के भरोसे समय पर पायलट चैनल के निर्माण का दावा किया जा रहा है. जबकि पायलट चैनल का निर्माण कार्य ड्रेनेज मशीन और अन्य अत्याधुनिक मशीनों से समय पर पूरा किया जा सकता था. जो कार्य ड्रेनेज मशीन से कराना था, उसे ट्रैक्टरों से कराया जा रहा. उधर, गंडक नदी में पहाड़ों से पानी का आना शुरू हो गया है. 15 जून के बाद बाढ़ का पानी भी तबाही मचा सकता है. कुचायकोट और सदर प्रखंड के तीन दर्जन से अधिक गांव के लोग चिंता में पड़े हुए हैं. पायलट चैनल का निर्माण पिछले सप्ताह शुरू हुआ है. टेंडर की प्रक्रिया में भी काफी विलंब होने के बाद अब कार्यों में तेजी नहीं होना लोगों की धड़कन को बढ़ा रहा.
बांध निर्माण में की जा रही धांधली : दियारा संघर्ष समिति के बैनर तले दियारा के पीड़ित लोगों ने गाइड बांध के लिए वर्ष 2013 से ही आंदोलन किया. आंदोलन के बदौलत यूपी के अहिरौली दान एपी तटबंध से विशुनपुर बांध तक नया गाइड बांध की मंजूरी केंद्र सरकार ने दी. यहां 65.80 करोड़ की राशि से गाइड बांध का निर्माण कार्य चल रहा है. जानकारों का कहना है कि मानक की धज्जियां उड़ायी जा रही है.
खेतों को बिना साफ किये जैसे-तैसे मिट्टी भरने के लिए एक सौ से अधिक ट्रैक्टरों को लगाया गया है, इतना ही नहीं काटे गये पेड़ों की जड़ को मिट्टी में दबा दिया जा रहा है. लेकिन मिट्टी को दबाने के लिए महज एक वाइव्रेशन रोलर और पानी देने के लिए महज दो टैंकरों से काम चलाया जा रहा. इस प्रोजेक्ट के लिए एक दर्जन वाइव्रेशन रोलर और उतने ही पानी के टैंकरों की जरूरत है. लेकिन आनन-फानन में मिट्टी भर कर बांध बनाने का कार्य किया जा रहा, जिससे तटबंध को नदी कभी ध्वस्त कर सकती है.
किसानों को नहीं मिला मुआवजा : बांध निर्माण के लिए लगभग 107 एकड़ जमीन पर गाइड बांध बनाया जा रहा है. किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है, जबकि किसानों को मुआवजा देने के लिए राशि का आवंटन हो चुका है. किसानों को मुआवजा मिल जाने से उनकी जीविका और रहने की जगह का इंतजाम हो जाता, लेकिन बाढ़ पीड़ितों के दर्द को शायद प्रशासन के लोग नहीं समझ पा रहे.
डीपीआर सार्वजनिक करने की मांग
दियारा संघर्ष समिति ने बाढ़ नियंत्रण विभाग, जल संसाधन विभाग एवं डीएम को अलग अलग ज्ञापन सौंप कर मांग की है कि बांध निर्माण के डीपीआर को सार्वजनिक किया जाये ताकि बांध की गुणवत्ता पर लगातार निगरानी रखी जा सके. संघर्ष समिति के द्वारा भी बांध निर्माण में व्यापक धांधली की शिकायत की गयी है. कार्य को जैसे-तैसे पूरा कराने की बात कही गयी है. दियारा संघर्ष समिति के संयोजक अनिल मांझी की मानें, तो 20 मई तक डीपीआर सार्वजनिक नहीं हुआ, तो संघर्ष समिति इसको लेकर फिर से आंदोलन की शुरुआत करेगी.
बांध निर्माण में गड़बड़ी बरदाश्त नहीं
बांध निर्माण में धांधली की बात ग्रामीणों ने भी कही है. पेड़ अगर नीचे मिट्टी में दब जायेगा, तो बाद में क्षति पहुंचायेगा. गन्ना हो या मक्का उसे जड़ से निकालना जरूरी है. प्रोपरवे में पानी देकर रोलिंग करनी है. अगर इसमें कोताही बरती जा रही है, तो तत्काल कार्रवाई होगी. मैं रिटेन में आदेश पारित करूंगा. पायलट चैनल का निर्माण कार्य सबसे जरूरी है. इसलिए फोकस पायलट चैनल पर ज्यादा है.
कुमार जयंत प्रसाद, मुख्य अभियंता, बाढ़ नियंत्रण विभाग

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