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डबल मर्डर मिस्ट्री: तीन साल में सीबीआइ को नहीं मिला सुराग, अब थानों में दर्ज दुष्कर्म व पोक्सो एक्ट का मांगा डिटेल्स

देवघर: जसीडीह अंतर्गत डाबरग्राम डबल मर्डर मिस्ट्री में सीबीआइ टीम तीन साल में सुराग तक नहीं खोज सकी. इस कांड के अनुसंधान में सीबीआइ विशेष अपराध शाखा की टीम द्वारा तरह-तरह की तरकीब अपनायी गयी. बावजूद इस मामले में सीबीआइ कुछ भी नया सुराग नहीं मिला. मामले में जिला पुलिस व सीआइडी का अनुसंधान जहां […]

देवघर: जसीडीह अंतर्गत डाबरग्राम डबल मर्डर मिस्ट्री में सीबीआइ टीम तीन साल में सुराग तक नहीं खोज सकी. इस कांड के अनुसंधान में सीबीआइ विशेष अपराध शाखा की टीम द्वारा तरह-तरह की तरकीब अपनायी गयी. बावजूद इस मामले में सीबीआइ कुछ भी नया सुराग नहीं मिला. मामले में जिला पुलिस व सीआइडी का अनुसंधान जहां तक था, सीबीआइ भी वहीं पहुंचकर रुक गयी है. अब इस मामले में सुराग तलाशने के लिए सीबीआइ ने जिले के सभी थाना से अप्रैल 2013 से अब तक दर्ज छेड़खानी सहित दुष्कर्म व पोक्सो एक्ट के मामलों का डिटेल्स मांगा है.
इसके पूर्व सीबीआइ ने सुराग तलाशने के लिए जनता से मदद की गुहार लगायी थी और सुराग देने वाले को 10 लाख रुपये इनाम देने की घोषणा की थी. इस संबंध में सदर अस्पताल परिसर सहित कुंडा, नगर, जसीडीह थाना के अलावा स्टेशन, स्टैंड व प्रमुख चौराहों पर सीबीआइ द्वारा पोस्टर भी चिपकाया गया था. बावजूद कांड में सीबीआइ को कुछ भी हाथ नहीं लग सका. जानकारी हो कि 26 मई 2013 को जसीडीह थाना क्षेत्र की दो नाबालिग सहेलियां रहस्यमय परिस्थिति में गायब हो गयी थी. इसके दूसरे दिन 27 मई की शाम में डाबरग्राम पुलिस लाइन के पीछे तालाब से दोनों की लाश मिली थी.

पोस्टमार्टम के बाद दोनों के कपड़े भी गायब मिले थे. इसके बाद सड़क से लेकर संसद तक हंगामा हुआ था. मामले की जांच के लिए राज्यपाल के दो-दो सलाहकार सहित डीजीपी समेत पुलिस के कई वरीय अधिकारियों ने यहां कैंप तक किया था. जिला पुलिस द्वारा मामले में कुछ नहीं कर पाने के बाद केस सीआइडी के पाले में गया था.

सीआइडी भी इस मामले में कुछ खास हासिल नहीं कर सकी. इसके बाद परिजनों द्वारा हाइकोर्ट में याचिका दायर करने के पश्चात डबल मर्डर मिस्ट्री का केस सीबीआइ को ट्रांसफर किया गया था. सीबीआइ द्वारा डीएनए प्रोफाइलिंग कराने के लिये कई संदिग्धों सहित परिजनों आदि का ब्लड सैंपलिंग कराया गया था. डीएनए जांच में भी सीबीआइ को कुछ खास हासिल नहीं हुआ. इस प्रकार यह कांड अब तक अबूझ पहेली बनकर रह गयी है. दोनों के परिजन अब सीबीआइ से भी आस तोड़ सके हैं. इनलोगों का कहना है कि नहीं लगता कि सीबीआइ भी उनलोगों को न्याय दिला सकेगी.

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