नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के छह महीने बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यह कहते हुए इसमें अपनायी गयी प्रक्रिया का ब्योरा देने से इनकार किया है कि ऐसा करना आर्थिक हितों के लिए नुकसानदेह होगा. सूचना के अधिकार के तहत दाखिल एक आवेदन पर केंद्रीय बैंक ने कहा कि नोटबंदी की प्रक्रिया का विवरण बताने से भारत सरकार की भावी आर्थिक या वित्तीय नीतियों की रास्ते में बाधाएं आ सकती हैं.
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आरबीआई से उसके कार्यालय में हुई उन बैठकों के ब्योरे की प्रति मांगी गयी थी, जिनमें 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का निर्णय लिया गया था. उससे नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय एवं वित्त मंत्रालय के साथ हुए पत्र व्यवहार की प्रति भी मांगी गयी थी.
आरबीआई ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा कि आवेदन में मांगी गयी सूचना में 500 और 1000 रुपये के नोटों को वापस लेने की प्रक्रिया के पूरा होने से पहले की संवेदनशील पृष्ठभूमि की जानकरी भी मांगी गयी है, जिसमें इस प्रक्रिया से संबंधित राय, आंकड़े, अध्ययन-सर्वेक्षण आदि शामिल हैं.
रिजर्व बैंक ने कहा कि ऐसी सूचना का खुलासा, ऐसे फैसले लेने के उद्देश्य की दृष्टि से देश के आर्थिक हितों के लिए नुकसानदेह होगा. आरबीआई ने कहा कि इस तरह के विवरण देने से भारत सरकार की भावी आर्थिक या वित्तीय नीतियों के रास्ते में बाधा आ सकती है.
आरबीआई ने कहा है कि संबंधित सूचना सूचना के अधिकार कानून की धारा आठ (1) के तहत इस तरह की सूचना न देने की छूट है. यह धारा उन सूचनाओं को साझा करने पर रोक लगाती है, जो देश की संप्रभुता एवं अखंडता, दूसरे देशों के संदर्भ में देश की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों पर बुरा असर डाल सकती है.
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