Advertisement
बिजली कंपनी की अक्षमता का बोझ जनता क्यों सहे?
झारखंड बिजली वितरण निगम द्वारा टैरिफ बढ़ाये जाने के प्रस्ताव को जनता ने एक सुर में खारिज कर दिया. आइएमए भवन में बुधवार को झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा टैरिफ पर आयोजित जनसुनवाई में लोगों ने कहा कि बिजली कंपनी की अक्षमता का बोझ जनता पर क्यों डाला जाये? कंपनी टैरिफ बढ़ाने की बात […]
झारखंड बिजली वितरण निगम द्वारा टैरिफ बढ़ाये जाने के प्रस्ताव को जनता ने एक सुर में खारिज कर दिया. आइएमए भवन में बुधवार को झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा टैरिफ पर आयोजित जनसुनवाई में लोगों ने कहा कि बिजली कंपनी की अक्षमता का बोझ जनता पर क्यों डाला जाये? कंपनी टैरिफ बढ़ाने की बात करती है, लेकिन जनता को सुविधा देने के मामले में पीछे रहती है. आज लोगों को 24 घंटे सातों दिन बिजली नहीं मिलती. बिल सही व समय पर नहीं मिलता. बोर्ड बिजली चोरी पर लगाम नहीं लगा पाता और इसका बोझ जनता पर डाला जाता है.
रांची : बिजली वितरण निगम द्वारा वर्ष 2016-17 और 2017-18 के लिए टैरिफ बढ़ाने का पीटिशन आयोग को दिया गया है. इस पर आइएमए भवन में जनसुनवाई की गयी. जनसुनवाई में चेंबर, जेसिया, उद्योग भारती के प्रतिनिधि समेत कई लोग शामिल हुए. जनसुनवाई आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एनएन तिवारी (सेवानिवृत्त) व सदस्य आरएन सिंह ने की. सुनवाई के दौरान जस्टिस तिवारी ने कहा कि जेबीवीएनएल को यह मालूम है कि दिसंबर में टैरिफ पीटिशन फाइल होता है, फिर भी देर से जुलाई में क्यों दाखिल किया गया? आज भी पीटिशन पूरा नहीं है. एकाउंट आधा-अधूरा है. दूसरे राज्यों से तुलना करना बेकार है. ये होगा, वो करेंगे बस यही बातें कही गयी हैं. उन्होंने सबका पक्ष सुन लिया है. टैरिफ पर अभी सुनवाई चल रही है.
14 हजार करोड़ निवेश किया जायेगा
जनसुनवाई के पूर्व झारखंड बिजली वितरण निगम के कंसलटेंट मोहित भारद्वाज ने एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि आनेवाले समय में आधारभूत संरचना व अन्य कार्यों के लिए लगभग 14 हजार करोड़ रुपये निवेश किये जायेंगे. अभी घरेलू उपभोक्ता 62 प्रतिशत हैं, जिन्हें 4.15 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर औसतन तीन रुपये की दर से दी जाती है. उन्होंने कहा कि बिलिंग क्षमता सुधारी गयी है. घर-घर जाकर ऊर्जा मित्र अब बिल देंगे और बिल उसी समय जमा भी हो सकेगा. वहीं, जेबीवीएनएल के अभियंता प्रमुख ने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि डीवीसी से बिजली न खरीदना पड़े. उदय योजना का लाभ जनता को जरूर दिया जायेगा. बिजली चोरी पर अंकुश लगाया जायेगा. बेहतर बिजली देने के लिए जेबीवीएनएल प्रतिबद्ध है.
जनसुनवाई में किसने क्या कहा
कायदा-कानून नहीं मानती कंपनी : बीके तुलस्यान, जेसिया
जेबीवीएनएल कभी भी रेगुलेशन को नहीं मानता. उपभोक्ताओं को लिए कुछ नहीं करता. इनकी कार्यसंस्कृति ठीक नहीं है. इनकी अक्षमता को आयोग भी नोटिस करे. जनता क्यों टैरिफ का बोझ सहे.
 उदय योजना का लाभ नहीं : केदारनाथ, उद्यमी
केंद्र सरकार द्वारा घोषित उदय योजना में जेबीवीएनएल शामिल हुआ. छह हजार करोड़ रुपये केंद्र द्वारा दिये गये. कहा गया कि अब कंपनी लाभ में आ जायेगी. पर अपनी खराब नीति और गलत प्रशासन के कारण ये घाटा में फिर आ गये. उदय योजना का लाभ जनता को नहीं दिया गया. ये बतायें कि 24 घंटे में कितनी देर बिजली जनता को देते हैं. इनके टैरिफ बढ़ाने का कोई लॉजिक ही नहीं है. जेसिया के अशोक बियानी ने उदय योजना मामला उठाते हुए कहा कि इसमें शामिल होने वाले राज्यों को अधिकतम 10 फीसदी तक ही बिजली बिल बढ़ाने का अधिकार है. जेबीवीएनएल ने टैरिफ में इसका जिक्र तक नहीं किया है. इसलिए टैरिफ बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है. सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि केवल अनुमान के आधार पर टैरिफ बढ़ाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. जेसिया के अजय भंडारी ने कहा कि ये कुछ उपभोक्ता से फ्यूर सरचार्ज लेते हैं कुछ पर मेहरबानी करते हैं. हाइकोर्ट के आदेश के बावजूद अबतक इस पर कार्रवाई नहीं की गयी. कमल अग्रवाल ने कहा कि अक्तूबर में उन्होंने कनेक्शन लिया था, आज तक बिल नहीं मिला है.
डीवीसी के कारण हर साल 1300 करोड़ का घाटा : एनके पटोदिया, एफजेसीसीआइ
नियामक आयोग के रेगुलेशन के अनुसार डीवीसी को अपने कमांड एरिया में सभी प्रकार के उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति करनी है. पर डीवीसी ऐसा नहीं कर रहा है. जेबीवीएनएल को डीवीसी कमांड एरिया में 11 केवी से नीचे के उपभोक्ताओं को डीवीसी से बिजली खरीद कर आपूर्ति करनी पड़ती है, जिसकी दर 5.12 रुपये प्रति यूनिट पड़ती है, जो देश में सबसे अधिक महंगी है. जबकि अन्य कंपनियों से तीन रुपये प्रति यूनिट की दर पर बिजली उपलब्ध है. इसके चलते जेबीवीएनएल को प्रति वर्ष 1300 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है.
नेता के घरों से लेकर थानों में बिजली चोरी: केके पोद्दार, उद्यमी
झारखंड कोयला के भंडार पर है. यहां की जनता को अधिकार है कि देश में सबसे सस्ती दर पर बिजली मिले. जेबीवीएनएल अपना उत्पादन क्यों नहीं बढ़ाता. ये घाटा की बात करते हैं, यहां नेता के घर से लेकर थानों में बिजली चोरी होती है. सब इनकी जानकारी में. यहां के अधिकारी ही बिजली चोरी कराते हैं और आम जनता पर टैरिफ का बोझ डाला जाता है. झारखंड के उद्योग यहां की बिजली व्यवस्था के कारण बंद हो रहे हैं. एनटीपीसी का टैरिफ कम हो रहा तो इनका बढ़ाने का क्या औचित्य है.
जनता की पीड़ा कौन सुनता है : विकास सिंह, चेंबर के पूर्व अध्यक्ष
घरेलू उपभोक्ता की पीड़ा कौन सुनता है. झूलते तार, लो वोल्टेज से टीवी, फ्रिज खराब हो जाते हैं. दिसंबर से बिल नहीं आ रहा है. जिस तरह मोबाइल में कई कंपनियों के आने से लोगों को आज अपना विकल्प चुनने का अवसर है. इसी तरह बिजली में भी अन्य कंपनियों को भी मौका दिया जाय. पर ये लोग ऐसा नहीं होने देना चाहते. इनका कोई घाटा नहीं है, बल्कि बिजली चोरी है. यही लोग चोरी कराते हैं. बिल को मैनुपलेट करते हैं. इनसे त्रस्त होकर मैने कनेक्शन कटवा कर चार साल तक जेनरेटर इस्तेमाल किया. अब फिर कनेक्शन लिया तो आज भी ये नहीं सुधरे हैं. इनसे पूछा जाना चाहिए किया 17 वर्षों में इन्होंने किया क्या है.
कंज्यूमर ग्रीवांस मेकानिज्म नहीं है : अंजय पचेरीवाल, जेसिया
2003-04 से आयोग लगातार इनके सुधार के लिए निर्देश दे रहा है, पर ये सुधरते नहीं है. आजतक कंज्यूमर ग्रीवांस मेकानिज्म नहीं बन सका है. 2003-04 में 75 प्रतिशत औद्योगिक उपभोक्ता थे जो घटकर 35 प्रतिशत पर आ गया है. एक फ्यूज के लिए पूरा फीडर बंद करना पड़ता है. ओवर बिलिंग की समस्या है. सप्लाई कोड को नहीं मानते.
क्या है टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव
श्रेणी वर्तमान वर्तमान प्रस्तावित प्रस्तावित
फिक्स्ड चार्ज टैरिफ फिक्स्ड चार्ज टैरिफ दर(प्रति यूनिट)
डीएस-1 कुटीर ज्योति 15 1.20 40 1.50
डीएस-1बी(ग्रामीण 200किवा तक) 27 1.50 100 2.50
डीएस-1बी(ग्रामीण 200 किवा से अधिक) 27 1.60 200 3.00
शहरी क्षेत्र (डीएस-2 चार किलोवाट तक)
0-100 यूनिट 43 2.60 120 3.50
201-250 तक 43 2.60 140 3.80
251 से 500 तक 65 3.10 160 4.25
500 से अधिक 65 3.10 300 4.75
डीएस-3(चार किवा से अधिक) 110 3.20 200-300 5.25
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement