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गरीबों के शव को घर पहुंचाने की योजना पर काम करें

रांची: गढ़वा के अनुमंडलीय अस्पताल से पति के शव को घर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिलने संबंधी खबर को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मौखिक रूप […]

रांची: गढ़वा के अनुमंडलीय अस्पताल से पति के शव को घर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिलने संबंधी खबर को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया.

बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि राज्य वेलफेयर स्टेट है. वेलफेयर स्टेट का दायित्व है कि वह गरीब लोगों के शव को घर पहुंचाने की योजना बनाये. योजना बनाने की दिशा में काम करना चाहिए. ओड़िशा में लागू योजना से संबंधित नियमावली की प्रति प्रस्तुत करने को कहा. खंडपीठ ने मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 15 मई की तिथि निर्धारित की. इससे पहले अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि ओड़िशा में इस तरह के मामलों के लिए हरिशचंद्र योजना शुरू की गयी है. उल्लेखनीय है कि वंशीधर नगर अनुमंडलीय अस्पताल, गढ़वा के गेट के सामने एक महिला अपने पति कन्हाई कोरवा के शव को घर पहुंचाने के गुहार लगा रही थी. शव ले जाने के लिए एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिली थी.
अधिवक्ता लिपिकों के कल्याण के लिए "10 फीस तय
रांची. झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को अधिवक्ता लिपिकों के लिए कल्याण योजना को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. राज्य सरकार के रवैये को देखते हुए कोर्ट ने कल्याण योजना के लिए न्यायिक आदेश पारित किया. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि 11 मई से अधिवक्ता लिपिकों के कल्याण के लिए भी 10 रुपये की फीस ली जायेगी. वकालतनामा दाखिल होने पर अब अलग से 10 रुपये का शुल्क संबंधित व्यक्ति को जमा करना होगा. इससे प्राप्त राशि से संबंधित कोष के संचालन के लिए महाधिवक्ता की अध्यक्षता में समिति गठित की गयी. समिति में प्रार्थी एसोसिएशन की तरफ से दो सदस्य भी रहेंगे. सुनवाई के दाैरान खंडपीठ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए माैखिक रूप से कहा योजनाअों व परामर्शियों के नाम पर राज्य में फिजूलखर्ची हो रही है. मोमेंटम झारखंड के दाैरान दो साै करोड़ रुपये खर्च कर दिये गये, लेकिन 90 प्रतिशत गरीब अधिवक्ता लिपिकों के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं. अधिवक्ता लिपिकों के लिए पांच रुपये तय किया जा रहा है. हाइकोर्ट में हजारों मामले लंबित है. केस के नाम पर लिपिकों को पांच रुपये के हिसाब से यदि 50 लाख रुपये भी मिलेंगे, तो उससे क्या होगा. खंडपीठ ने जनहित याचिका को निष्पादित कर दिया. सरकार की अोर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने पक्ष रखा. सुनवाई के दाैरान मुख्य सचिव राजबाला वर्मा भी उपस्थित थीं. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अधिवक्ता लिपिक संघ झारखंड हाइकोर्ट की अोर से जनहित याचिका दायर कर कल्याणकारी योजना शुरू करने की मांग की गयी थी.
अभी वकालतनामा पर क्या शुल्क लगता है : वकालतनामा दाखिल करने पर आज तक अधिवक्ता कल्याण कोष के लिए 15 रुपये व एडवोकेट्स एसोसिएशन वेलफेयर एंड डेवलपमेंट फंड के लिए पांच रुपये का शुल्क देना पड़ा. कोर्ट फीस भी देना पड़ता है. 11 मई से अधिवक्ता लिपिक कल्याण कोष के लिए भी 10 रुपये का शुल्क देना होगा.
शारीरिक प्रशिक्षित उम्मीदवारों को नहीं मिली राहत, डबल डिग्री की बाध्यता बरकरार
रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत में बुधवार को हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन को चुनाैती देनेवाली विभिन्न याचिकाअों पर सुनवाई हुई. शारीरिक प्रशिक्षित शिक्षकों के मामले में डबल डिग्री (शैक्षणिक शारीरिक प्रशिक्षित डिग्री) की योग्यता को बरकरार रखा. कर्मचारी चयन आयोग की दलील को अदालत ने मान लिया. अदालत ने कहा कि चार वर्षीय इंटीग्रेटेड फिजिकल डिग्री वाले उम्मीदवार हाइस्कूल शिक्षक के लिए योग्य नहीं हैं. स्नातक व शारीरिक प्रशिक्षित की डिग्री जरूरी होगी. याचिकाकर्ता प्रीति कुमारी व अन्य की अोर से दायर याचिका को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया. वहीं शेष याचिकाअों पर भी सुनवाई पूरी हो गयी. 11 मई को मामले की अंतिम सुनवाई होगी़ फैसला सुनाने की बात कही. झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की अोर से अधिवक्ता डाॅ अशोक कुमार सिंह व सरकार की अोर से अधिवक्ता राजेश कुमार ने पक्ष रखा. वहीं प्रार्थी की आेर से अधिवक्ता समीर साैरभ, अधिवक्ता सुनील महतो, अधिवक्ता ललित कुमार सिंह, अधिवक्ता जेजे सांगा आदि ने पक्ष रखा. प्रार्थी हरि शर्मा व अन्य की अोर से अलग-अलग याचिका दायर कर हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन को चुनाैती दी गयी है. आयोग ने 17,572 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए दो बार विज्ञापन (एक बार संशोधित) निकाला था. रसायनशास्त्र के साथ बायोलॉजी, गणित के साथ भाैतिकी व इतिहास के साथ राजनीतिशास्त्र विषय के साथ स्नातक करनेवाले आवेदन कर सकेंगे. सब्जेक्ट कंबीनेशन की वजह से हजारों अर्हताधारी विद्यार्थी आवेदन करने से वंचित हो गये हैं. वैसे विद्यार्थियों ने विज्ञापन में दी गयी शर्तों को चुनाैती दी है.

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