कटिहार : केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छता को लेकर सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी होने के बाद कटिहार में प्रशासनिक कवायद तेज हो गयी है. इस रिपोर्ट में स्वच्छता के मामले में कटिहार के अंतिम पायदान यानी 430वें स्थान पर होने की वजह से जिला व नगर निगम प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है. प्रशासनिक गंभीरता का परिणाम तो आने वाले समय में दिखेगा.
पर जिस तरह से कवायद शुरू हुई है. इसे अच्छी शुरुआत माना जा सकता है. सर्वेक्षण रिपोर्ट आने के बाद से ही प्रशासनिक महकमा कटिहार शहर को स्वच्छ बनाने की प्लानिंग में जुटा है. इस बीच डीएम मिथिलेश मिश्र ने सोशल मीडिया के जरिये लोगों से कटिहार शहर को स्वच्छ बनाने को लेकर सुझाव भी मांगा है. कटिहार शहर को स्वच्छ बनाने के लिये माइक्रो प्लान के साथ- साथ एक डीपीआर बनाने की भी जरूरत है. कटिहार शहर की भौगोलिक स्थिति को देखते हुये इसे स्वच्छ बनाना व जाम से मुक्ति दिलाना चुनौती भरा कार्य है
दरअसल, कटिहार शहर को स्वच्छ व जाम से मुक्ति दिलाने को लेकर इच्छाशक्ति के साथ प्लानिंग के तहत कार्य करना पड़ेगा. कटिहार नगर निगम क्षेत्र 45 वार्डों में फैला हुआ है. शहरवासी को कई तरह की समस्याओं से हर दिन दो-चार होना पड़ता है. कुछ ऐसी समस्या भी हैं जिसका स्थायी निदान होने के बाद ही कटिहार शहर स्वच्छ हो सकता है. मसलन, जलजमाव कटिहार शहर के एक बड़ी समस्या है. रेलवे का पानी भी शहर के बीच में आकर ही गिरता है. उसका भी समाधान जरूरी है.
फ्लाइओवर बनाने के दिशा में भी हो पहल: शहर की सबसे बड़ी समस्या जाम की है. कमोवेश हर दिन कटिहार शहर जाम से जूझता है. दरअसल शहर की भौगोलिक स्थिति की वजह से जाम उत्पन्न हो जाती है. शहर में सड़क इतनी संकरी है कि दो वाहनों के आने से एक साथ चलने पर परेशानी होती है. हालांकि ट्रैफिक नियमों के पालन नहीं होने से भी जाम को बढ़ावा मिलता है. पर जाम का स्थायी समाधान फ्लाइओवर के निर्माण से ही हो सकता है.
प्रभात खबर पहले भी फ्लाइओवर की जरूरत को देखते हुए उसकी उपयोगिता से संबंधित मुद्दे को लगातार सामने लाता रहा है. शहर में अगर बीएमपी- आंबेडकर चौक, मिरचाईबाड़ी होते हुए फ्लाइओवर का निर्माण हो तथा आगे चलकर उसका एक भाग मनिहारी रोड के तरफ से निकालते हुए शरीफगंज के पास छोड़ा जाय. जबकि दूसरा हिस्सा केबी झा कॉलेज के पास निकले. मिरचाईबाड़ी से सीधे फ्लाई ओवर महमूद चौक, डी एस कॉलेज के पास पहुंचे. इस तरह के डिजाइन करते हुए फ्लाइओवर का निर्माण होने से जाम से काफी हद तक राहत मिल सकती है. कोर्ट-कचहरी व सरकारी कामकाज वाले लोग फ्लाइओवर से अपने- अपने गंतव्य को जा सकते हैं. वर्तमान में सबको बाजार होकर ही गुजारना पड़ता है.
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट व कचरा प्रबंधन भी जरूरी: शहर में जल जमाव व कचरा की समस्या भी बहुत बड़ी है. शहर में कुछ मोहल्लावासी तो स्थायी जलजमाव की वजह से परेशान रहते हैं. जल निकासी के लिए कोई ठोस व्यवस्था करने के साथ-साथ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से जलजमाव की समस्या से मुक्ति मिल सकती है. दूसरी तरफ कचरा की समस्या है. घर-घर कचरा उठाने की व्यवस्था होनी चाहिये. सार्वजनिक स्थल व चौक चौराहा पर डस्टबीन की व्यवस्था हो. साथ ही सवेरे आठ बजे से पहले ही हर दिन कचरा का उठाव हो जाय. इस कचरा को समुचित तरीके से निस्तारण की व्यवस्था होनी चाहिये. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के जरिये कचरा से फैलने वाली गंदगी से बचाव हो सकता है. इस दिशा में भी ठोस पहल करने की जरूरत है.
शहर को अतिक्रमण से करायें मुक्त: शहर को अतिक्रमण से मुक्त कराने की भी दिशा में पहल करनी पड़ेगी. जनपक्षीय दृष्टिकोण अपनाते हुए प्रशासन को इस दिशा में पहल करनी पड़ेगी. शहर के न्यू मार्केट रोड में सब्जी का बाजार सज जाता है. बीच सड़क में भी सब्जी की दुकानें लगती है. इन सब्जी दुकानदारों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए सड़क को खाली कराना पड़ेगा. दूसरी तरफ शहर के एमजी रोड, विनोदपुर, मंगल बाजार, फलपट्टी, शिव मंदिर चौक,
बड़ा बाजार,मिरचाईबाड़ी आदि कई ऐसे पथ व बाजार हैं, जो अतिक्रमण के शिकार हैं. कई प्रमुख पथों पर व्यवसायी अपने दुकान के अलावा सड़क तक समान को पसार देते हैं. इससे शहर की सड़क काफी संकरी हो जाती है. दुकान व प्रतिष्ठान से जुड़ा बोर्ड भी सड़क पर रख दिया जाता है. ऐसे जगहों को भी अतिक्रमण से मुक्त कराना होगा. इसमें व्यावसायिक वर्ग को भी आगे आना पड़ेगा.
शहर की व्यवस्था में ये सुधार होना जरूरी
फ्लाइओवर निर्माण के दिशा में पहल शुरू की जाय.
गौशाला गुमटी, भगवान चौक सहित अन्य समपार फाटक पर ओवरब्रिज बनाया जाय.
शहर के सभी प्रमुख सडकों पर सुबह 8 बजे से रात्रि 9 बजे तक यातायात व्यवस्था एकतरफा रखा जाय.
शहर के गलियों काे सिर्फ पैदल उपयोग के लिये ही रखा जाय, दुपहिया वाहनों तक को प्रतिबंधित किया जाय.
शहर की सड़कों की साफ- सफाई सुबह 8 बजे से पहले ही कर लिया जाय. कचरा उठाने की नियमित व्यवस्था हो. नियमित इसका अनुश्रवण भी की जाय.
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की दिशा में भी ठोस पहल हो.
शहर के सभी स्थानों से कचरा उठाव के बाद शहर के बाहर उसके निस्तारण की मुकम्मल व्यवस्था हो.
शहर के सभी कमर्शियल भवन में पार्किंग की व्यवस्था को अनिवार्य बनायी जाय. भवन निर्माण नियमावली का कड़ाई से अनुपालन कराया जाय.
शहर के विभिन्न चौक चौराहा पर पर्याप्त यूरीनल की व्यवस्था की जाय. साथ ही सामुदायिक शौचालय की व्यवस्था भी हो.
शहर में वाहनों के लिये पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था की जाय. खासकर टेंपो स्टैंड की व्यवस्था की जाय. मोटरसाइकिल व अन्य वाहनों के पड़ाव की भी व्यवस्था हो.
ट्रैफिक नियमों के पालन व स्वच्छता के प्रति संवेदनशील बनाने को लोगों को जागरूक किया जाय.
नो इंट्री में वाहनों के प्रवेश रोकने की दिशा में पहल की जाय.
शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिये ठोस पहल की जाय, जनपक्षीय दृष्टिकोण अपनाते हुए विस्थापित दुकानदारों को के लिए भी वैकल्पिक व्यवस्था हो.