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बेरोजगारों की बल्ले-बल्ले! पीएम मोदी पूरा करेंगे 1 करोड़ नौकरी देने का अपना वादा

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में बेरोजगार युवाओं के सपने अब पूरे होने वाले हैं. 26 मई को मोदी सरकार तीन साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही है, जिसे देखते हुए अच्छे दिन के अपने वादों को पूरा करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरा जोर देने में लगे हुए हैं. पीएम […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में बेरोजगार युवाओं के सपने अब पूरे होने वाले हैं. 26 मई को मोदी सरकार तीन साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही है, जिसे देखते हुए अच्छे दिन के अपने वादों को पूरा करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरा जोर देने में लगे हुए हैं. पीएम मोदी ने सभी मंत्रालयों को निर्देश दिया है कि कैबिनेट को भेजे जाने वाले सभी प्रस्तावों में यह जानकारी जरूर उपलब्ध करायी जाए कि उन प्रस्तावों पर अमल करने से रोजगार के कितने मौके युवाओं को मिलेंगे.

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गौर हो कि 2014 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने युवाओं को 1 करोड़ रोजगार के अवसर देने का वादा किया था. हालांकि, बीते तीन सालों में रोजगार देने के मामले में मोदी सरकार का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक कारोबार बेस्ड अखबार को बताया कि जिस भी प्रस्ताव के साथ कुछ खर्च जुड़ा होगा, उससे देश में रोजगार निर्माण होना ही चाहिए और ऐसे प्रस्ताव के साथ नौकरी अनुमान दिया जाना चाहिए.

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सीतारमण ने बताया कि जब भी कोई प्रस्ताव चर्चा के लिए आता है तो पीएम मोदी कैबिनेट बैठक में पूछते हैं कि रोजगार के कितने अवसर इससे बनेंगे ? इधर, आर्थिक वृद्धि के साथ रोजगार के मौके बनने की रफ्तार बढ़ाने के लिए नीति आयोग ने तीन साल का एक ऐक्शन प्लान पेश किया है. इस प्लान में विभिन्न सेक्टरों में रोजगार सृजित करने की बात की गयी है.

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सीआईआई की माने, वित्त वर्ष 2012 से 2016 के बीच भारत में रोजगार के 1.46 करोड़ अवसर पैदा हुए थे. इसका अर्थ हुआ कि हर साल 36.5 लाख अवसर जबकि कामकाजी उम्र वाले लोगों की संख्या में 8.41 करोड़ का इजाफा हुआ, लेकिन वास्तिक श्रम बल में बढ़ोतरी केवल 2.01 करोड़ रही है. सीआईआई के अनुसार कामकाजी उम्र वाली आबादी का 24 प्रतिशत हिस्सा श्रम बल में जुड़ा, जबकि 76 प्रतिशत हिस्सा इससे बाहर रहा.

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क्रिसिल की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि 15 लाख से ज्यादा लोग हर महीने देश के रोजगार बाजार में रोजगार तलाशने पहुंचते हैं. वहीं, मानव श्रम पर निर्भरता घटाने वाले ऑटोमेशन की वजह से स्थिति चिंताजनक होती जा रही है. सरकार ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करना चाहती है ताकि आमदनी बढ़े और लाखों लोग गरीबी के जाल से बाहर आ सकें.

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