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कट्टरपंथ की हार जरूरी थी
अच्छा हुआ यूरोप में ब्रेक्सिट के बाद ‘फ्रेक्सिट’ से बच गया. अगर फ्रांस का राष्ट्रपति पद मरी ली पेन जीत जातीं, तो यूरोपियन यूनियन से फ्रांस का बाहर जाना तय था. शुक्र है धूर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी सोच से पहले हॉलैंड बचा और अब फ्रांस. उम्मीद है कि आगामी सितंबर में जर्मनी के चुनाव में भी […]
अच्छा हुआ यूरोप में ब्रेक्सिट के बाद ‘फ्रेक्सिट’ से बच गया. अगर फ्रांस का राष्ट्रपति पद मरी ली पेन जीत जातीं, तो यूरोपियन यूनियन से फ्रांस का बाहर जाना तय था. शुक्र है धूर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी सोच से पहले हॉलैंड बचा और अब फ्रांस. उम्मीद है कि आगामी सितंबर में जर्मनी के चुनाव में भी विभाजनकारी सोच को नकार दिया जायेगा.
भारत एवं अमेरिका जैसे दो शक्तिशाली एवं विशालकाय लोकतंत्रों को राष्ट्रवादियों के हाथों में जाने के बाद, थोड़ा डर सा लगने लगा था. मगर हॉलैंड एवं फ्रांस में मध्यमार्गियों एवं सुधारवादियों की जीत से लग रहा है कि अभी विश्व के लोगों ने राष्ट्रवाद को अंगीकार करने से मना कर दिया है. समय रहते इन सब मुद्दों पर खुलकर लोगों से बात करने की आवश्यकता है.
जंग बहादुर सिंह, इमेल से
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