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2231 आंगनबाड़ी केंद्रों में से मात्र 789 का अपना भवन
धनबाद : प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद जिले में 1442 आंगनबाड़ी केंद्रों का अपना भवन नहीं है. जिले में कुल आंगनबाड़ी केंद्रों 2231 में से मात्र 789 का ही अपना भवन है. विभागीय आंकड़ों की बात करें तो अधिकांशकेंद्र सामुदायिक भवन में चल रहे हैं. साथ ही कहीं-कहीं केंद्र निजी भवन में, स्कूल आदि […]
धनबाद : प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद जिले में 1442 आंगनबाड़ी केंद्रों का अपना भवन नहीं है. जिले में कुल आंगनबाड़ी केंद्रों 2231 में से मात्र 789 का ही अपना भवन है. विभागीय आंकड़ों की बात करें तो अधिकांशकेंद्र सामुदायिक भवन में चल रहे हैं. साथ ही कहीं-कहीं केंद्र निजी भवन में, स्कूल आदि में चल रहे हैं. सबसे अधिक केंद्र निरसा प्रखंड में हैं, जबकि सबसे कम केंद्र 156 चोपचांची में हैं. जमीन का मामला सबसे अधिक झरिया, धनबाद, निरसा आदि में देखने को मिलता है.
नहीं मिलता एनओसी, कोल बियरिंग एरििया में परेशानी : आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए दो डिसमिल जमीन की जरूरत होती है. धनबाद में अधिकांश इलाके बीसीसीएल, रेलवे सहित अन्य संस्थाओं के हैं.
जहां से जमीन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं मिल पाती है. कोलियरी के कोलबियरिंग इलाकों में एनओसी नहीं मिलती है. कई जगहों रैयती जमीन है, लेकिन पारिवारिक विवाद के कारण रैयत जमीन नहीं देते हैं. इस कारण लंबे समय से कोशिश के बावजूद आंगनबाड़ी का अपना केंद्र नहीं बन पाया है. भवन बनाने का काम बिल्डिंग डिविजन करता है.
गरमी बढ़ी तो घटी बच्चों की संख्या : कोयलांचल में गरमी के कारण लोगों का हाल बेहाल है. ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्रों में जाने वाले नैनिहालों को भी पसीने से तर बतर होना पड़ रहा है. गरमी के कारण केंद्रों में बच्चों की संख्या में भारी कमी देखने को मिल रही है. कई बच्चे को केवल नाश्ता व पोषाहार के लिए ही पहुंच रहे हैं. धोवाटांड़ के केंद्र संख्या 242, हीरापुर अग्रसेन भवन केंद्र, पुलिस लाइन केंद्र आदि जगहों पर बच्चों की संख्या कम देखी जा रही है.
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