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मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने की भिड़ायी जा रही जुगत देर रात तक लोगों के घर की देहरी पर पहुंच कर साधा जा रहा संपर्क जहानाबाद : नगर पर्षद के सभी 33 वार्डों में वार्ड आयुक्त पद के लिए होनेवाले चुनाव को लेकर प्रत्याशी और उनके समर्थकों ने जनसंपर्क अभियान में तेजी ला […]

मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने की भिड़ायी जा रही जुगत

देर रात तक लोगों के घर की देहरी पर पहुंच कर साधा जा रहा संपर्क

जहानाबाद : नगर पर्षद के सभी 33 वार्डों में वार्ड आयुक्त पद के लिए होनेवाले चुनाव को लेकर प्रत्याशी और उनके समर्थकों ने जनसंपर्क अभियान में तेजी ला दी है. 21 मई को वोटिंग होने वाली है.मतदान की तिथि नजदीक आते देख प्रत्याशियों ने एड़ी-चोटी एक कर दी है.भी षण गरमी भी प्रत्याशियों के हौसले पस्त नहीं कर रही. गर्म हवाओं के थपेड़े और तीखी धूप की परवाह किये बगैर प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए वोटरों को अपने-अपने पक्ष में गोलबंद करने की कोशिश तो कर रहे हैं, लेकिन इस बार मतदाताओं को रिझाना आसान नहीं है.

जागरूक मतदाताओं के सवालों के झंझावात से प्रत्याशियों के पसीने छूट रहे हैं. खासकर निवर्तमान पार्षदों की परेशानी बढ़ी हुई है.पांच वर्षों में आपने वार्ड के विकास के लिए क्या-क्या किया? विकास के नाम पर नाली-गली का जो पक्कीकरण उसकी गुणवता का ख्याल निर्माण काल के दौरान क्यों नहीं रखा? वार्डों की गलियों से गंदे पानी के निकास की समस्या का समाधान कराने के लिए आपने क्या किया? कई लोगों के घरों में अबतक शौचालय क्यों नहीं बनाये गये? इस भीषण गरमी में भी खराब पड़े चापाकलों को दुरुस्त क्यों नहीं कराया बगैरह-बगैरह सवालों के तीखे बाण वोटर छोड़ रहे हैं, जिनका माकूल जवाब देने में कई प्रत्याशी असमर्थ साबित हो रहे हैं.

पिछले चुनाव में निकटतम प्रतिद्वंदी रहे प्रत्याशी, जो इस बार भी अपना भाग्य आजमा रहे हैं, के अलावा कई नये चेहरे से भी वोटर सवालिया लहजे में कह रहे हैं कि कैसे समझें कि वे उनकी आशाओं के अनुरूप उतरेंगे.

जनता के सपने, जो नहीं हुए पूरे : वार्ड की जनता ने विकास के जो सपने देखे थे, वह पूरे नहीं हो पाये. शहर के लगभग सभी वार्डों में सबसे बड़ी समस्या गंदे पानी के निकास की है. इसका समाधान नहीं हो पाया.वार्डों की गलियों और नालियों का पक्कीकरण कराने के नाम पर करोड़ों रुपये व्यय तो किये गये, लेकिन जलजमाव की समस्या का निदान नहीं हो पाया. विकास कराने के क्रम में गलतियां भी हुई. कई जगहों पर कार्य की गुणवत्ता का भी ख्याल नहीं रखा गया.

मुहल्लों की नालियों की बगैर उड़ाही किये उस पर स्लैब लगाने के बजाय नाली की पूरी तरह ढलाई कर दी गयी. परिणाम यह हो रहा है कि जाम पड़ी नालियों का गंदा पानी नहीं निकल रहा है. इसका दुष्परिणाम दिखेगा आगामी बरसात में, क्योंकि नालियों को कवर कर देने और जहां-तहां छोटे होल छोड़ देने के कारण बारिश होने पर नाली का पानी गली की सड़क पर बहेगा. इसके अलावा खराब पड़े चापाकल, शौचालय बनाने में भेदभाव बरतना ,स्ट्रीट लाइटें लगवाने में चेहेतों को तरजीह देना, नियमित ढंग से कूड़े-कचरे के उठाव में लापरवाही बरतना, इन सभी मुद्दों पर प्रत्याशियों को जवाब देने में परेशानी हो रही है. हां, इतना जरूर है कि कुछ प्रत्याशियों ने अपनी कार्यशैली से वोटरों के दिल में अपना स्थान बना रखा है.उन्हें सवालों का झंझावात नहीं झेलना पड़ रहा है.

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