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बोको हराम की शर्मनाक हरकत: अपहृत महिलाओं से करवाता है आत्मघाती हमला

आतंकी संगठन बोको हराम करीब तीन साल पहले चर्चा में आया था. उस समय इस संगठन ने मध्य रात्रि में नाइजीरिया के चिबुक से सौ अधिक स्कूली लड़कियों को अगवा कर लिया था. पिछले कई महीनों से बोको हरम नाइजीरिया की सेना के निशाने पर है. इस वजह से नाइजीरिया के उत्तर-पूर्वी इलाके में इस […]

आतंकी संगठन बोको हराम करीब तीन साल पहले चर्चा में आया था. उस समय इस संगठन ने मध्य रात्रि में नाइजीरिया के चिबुक से सौ अधिक स्कूली लड़कियों को अगवा कर लिया था. पिछले कई महीनों से बोको हरम नाइजीरिया की सेना के निशाने पर है. इस वजह से नाइजीरिया के उत्तर-पूर्वी इलाके में इस संगठन के विस्तार की मुहिम कमजोर पड़ गयी है, लेकिन भीड़ वाले इलाकों में आत्मघाती हमले बढ़ गये हैं. यह आतंकी संगठन अगवा किये गये बच्चों और महिलाओं को आत्मघाती हमलावर बनाकर भेज रहा है. इस बात का खुलासा 17 साल की नाडिया ने किया, जिसे बोको हराम के आतंकियों ने अगवा कर लिया था.

नाडिया को किसी अनजान जगह पर बोको हराम के कैंप में अगवा की गयीं दर्जनों महिलाओं के साथ खड़ा कर दिया गया था. वहां पर आतंकियों के नेता ने सभी से कुछ कहने के बाद अपने आदमियों को आदेश दिया कि वह नाडिया को उसके घर लेकर आयें. नाडिया उनसे इतना ही पूछ सकी थी कि सिर्फ उसे ही क्यों ले जाया जा रहा है. नाडिया को आतंकियों के नेता का नाम नहीं पता, लेकिन उसे इतना याद है कि वह देखने में बहुत गंदा था. वह नाडिया को अपनी दूसरी पत्नी बनाना चाहता था. जब आतंकियों के नेता ने इसकी घोषणा की, उस समय नाडिया को बताया गया कि वह कुछ भाग्यशाली लोगों में एक है. लेकिन, नाडिया को यह मंजूर नहीं था. आतंकियों के नेता ने जिस दिन यह एलान किया, उसी रात उसने नाडिया के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की. नाडिया ने अपनी पूरी ताकत से उसका विरोध किया और खुद को बचाने में सफल रही. इससे वह बहुत गुस्सा हो गया. सुबह में उसने अपने लोगों को मुझे कोड़े मारने का आदेश दिया. इस तरह से जबरदस्ती की कई कोशिशों में असफल होने के बाद उसने नाडिया के साथ बातचीत और दबाव डाल कर शादी के लिए राजी करने की कोशिश की. आतंकियों के नेता ने तीन माह तक नाडिया को मनाने की कोशिश की. असफल होने के बाद उसने नाडिया से हमेशा के लिए छुटकारा पाने का फैसला किया.

विस्फोट के लिए छोड़ा
अगवा होने के करीब तीन माह बाद एक सुबह जब नाडिया की नींद खुली, तो उसने अपने आपको विस्फोटकों से लिपटा पाया. आतंकियों ने उसे मोटरसाइकिल पर बैठाया और दो अन्य महिलाओं के साथ नाइजीरिया के बोरनो शहर के गंबोरो के पास छोड़ दिया. यह इलाका बोको हराम के आतंक से सबसे अधिक प्रभावित है. उनसे कहा गया था कि वह बड़ी भीड़ के पास अपने आपको उड़ा दे. जहां आतंकियों ने नाडिया को छोड़ा था, वहां से चेकपोस्ट नजदीक था. वह धीरे-धीरे उसी तरफ बढ़ने लगी. चेकपोस्ट पर बोको हराम से निबटने के लिए अर्धसैनिक बल तैनात थे. वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी, ताकि गलती से उसका हाथ कमर की तरफ न लग जाये और बम में विस्फोट हो जाये.
चेकपोस्ट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों की नजर जैसे ही इन तीनों पर पड़ी, उन्होंने तीनों को वहीं रूकने का आदेश दिया. इसके लिए वह पहले से तैयार थी. तीनों वहीं रुक गयी और चिल्लाया – हमें जबरन बम से बांध दिया गया है. इसके बाद उन्होंने अपना बुर्का उतार कर सुरक्षाबलों को कमर में बंधे बेल्ट दिखा दिये. नाडिया समेत तीनों के लिए सबसे सुकून देने वाली बात यह थी कि सुरक्षाबलों की तरफ से एक गोली नहीं चली. इसके बाद सेना को बुलाया गया. सेना ने सावधानी से उनके शरीर से विस्फोटकों को अलग किया.

शरिया कानून लागू करना बोको हराम का मकसद
बोको हरम नाइजीरिया का एक चरमपंथी संगठन है. सरकारी कार्यालयों, स्कूलों, संयुक्त राष्ट्र के दफ्तरों और चर्च पर इसने निरंतर हिंसक हमले किये हैं. यह आतंकी संगठन पश्चिमी शिक्षा को अभिशाप मानता है. इसका उद्देश्य शुद्ध शरिया कानूनों के आधार पर इसलामी राज्य की स्थापना करना है. नाइजीरिया का उत्तर-पूर्वी राज्य बोर्नो इसका गढ़ माना जाता है, लेकिन अन्य कई राज्यों के साथ-साथ आसपास के देशों में भी इसका प्रभाव है. 13 नवंबर, 2013 को अमेरिक ने इसे आतंकवादी संगठन करार दिया था. ह्यूमन राइट्स वाच का दावा है कि बोको हरम बारह वर्ष के बच्चों को भी अपनी सेना के तौर पर इस्तेमाल करता है. इस संगठन का कोई केंद्रीय सांगठनिक ढांचा नहीं है. यह छोटे-छोटे समूहों में बंटा है.

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आत्मघाती हमले पर जाने वाले को शव की तरह करते हैं तैयार
बोको हराम के आतंकी जब भी किसी को अात्मघाती हमला के लिए भेजते हैं, तो उसे एक शव की तरह तैयार करते हैं. हाथों पर मेहंदी भी लगाते हैं. इस बात का खुलासा आइशा नाम की महिला ने किया. वह आतंकी संगठन के चौथे नंबर के नेता की तथाकथित पत्नी थी और किसी तरह वहां से भागने में कामयाब हुई है. उसने कई महिलाओं और बच्चों को इस तरह के मिशन पर भेजे जाते हुए देखा है. 20 साल की फातिमा के साथ भी ऐसा ही हुआ था जब वर्ष 2015 में उसे आत्मघाती हमलावर के तौर पर भेजा गया था. आत्मघाती मिशन पर भेजे जाने से पहले, करीब आठ माह तक हर रात उसके साथ अलग-अलग लोगों ने बलात्कार किया. जिस समय आतंकी संगठन ने उसे इस मिशन के लिए चुना, उस समय वह इतनी डरी हुई थी कि कुछ भी बोल नहीं पायी. आत्मघाती हमले के बारे में उसने कभी सुना भी नहीं था. उसे बताया गया कि भीड़ में जाकर कमर में लगे बेल्ट को सिर्फ छूना है. इसके बाद क्या होगा, वह नहीं बताया गया. उसे जहां छोड़ा गया वहां से वह सीधे सेना के पास पहुंची और कहा – मेरे कमर में कुछ बंधा है. सैनिक देखते ही चिल्लाते हुए पीछे हटे-यह बम है. इसके बाद उन्होंने फातिमा के शरीर से उसे अलग किया. आज वह अपनी मां और बहन के साथ रह रही है.

गार्जियन पर प्रकाशित रिपोर्ट का संपादित अंश

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