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फरजी कंपनियों का गढ़ है बंगाल

कोलकाता की 90 फरजी कंपनियों की जांच कर रहा है प्रवर्तन विभाग अमर शक्ति कोलकाता : पश्चिम बंगाल में वाममोरचा के कार्यकाल के दौरान कुकुरमुत्ते की तरह एक के बाद एक चिटफंड कंपनियों की स्थापना हुई. वाममोरचा के कार्यकाल के दौरान चिटफंड कंपनियों का कारोबार अभी धीरे-धीरे पनप रहा था कि उसी समय में बंगाल […]

कोलकाता की 90 फरजी कंपनियों की जांच कर रहा है प्रवर्तन विभाग
अमर शक्ति
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में वाममोरचा के कार्यकाल के दौरान कुकुरमुत्ते की तरह एक के बाद एक चिटफंड कंपनियों की स्थापना हुई. वाममोरचा के कार्यकाल के दौरान चिटफंड कंपनियों का कारोबार अभी धीरे-धीरे पनप रहा था कि उसी समय में बंगाल में सत्ता परिवर्तन हुआ और तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनी. मां-माटी-मानुष की इस सरकार के कार्यकाल के दौरान चिटफंड कंपनियों का कारोबार इतनी तेजी से बढ़ा, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती.
इसका प्रमुख कारण रहा, सत्तारूढ़ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, मंत्री व विधायकों का चिटफंड कंपनियों के कार्यक्रमों में हिस्सा लेना. यहां तक कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी कई चिटफंड कंपनियों के कार्यक्रम में पहुंची थी, जिससे राज्य के लोगों का विश्वास इन कंपनियों पर बढ़ गया था, लेकिन इन कंपनियों ने राज्य की जनता से विश्वासघात करने में देरी नहीं लगायी, लेकिन जब तक लोगों को पता चलता, इन कंपनियों ने दो-तीन लाख करोड़ रुपये बाजार से उठा लिये थे.
ममता बनर्जी के मुख्यमंत्रित्व काल में पश्चिम बंगाल चिटफंड और फर्जी (शेल) कंपनियों का गढ़ बन गया. देश के किसी भी राज्य में सबसे अधिक चिटफंड और शेल कंपनियों का बोलबाला पश्चिम बंगाल में है. राज्य के औद्योगिक विकास को रफ्तार देने वाली कंपनियों की संख्या में तो गिरावट हो रही है, लेकिन जनता को लूटनेवाली चिटफंड और फर्जी कंपनियों की संख्या व उनके कारोबार में लगातार बढ़ोतरी हुई थी.
आश्चर्य की बात है कि मिट्टी से जुड़े होने का दावा करनेवाली राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के ही लोग अपनों को लूटने का काम कर रहे हैं. सारधा और रोजवैली कंपनियों की तरह राज्य में लगभग 60 चिटफंड कंपनियां जनता की गाढ़ी कमाई पर धीरे-धीरे हाथ साफ कर चुकी हैं.
इन कंपनियों ने जनता से लगभग दो-तीन लाख करोड़ रुपये उठाया था, लेकिन आज इनके पास जनता का रुपया लौटाने के लिए कुछ नहीं है. इन कंपनियों में से अधिकतर के खिलाफ सरकार के पास जनता की शिकायतें आ चुकी हैं और इनके खिलाफ जांच चल रही है, लेकिन जिन लाेगों ने अपनी जीवन भर की पूंजी इन कंपनियों को सौंप दी, उनको उनका रुपया वापस कब मिलेगा, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है.
नोटबंदी के बाद 3900 करोड़ रुपये को लगाया ठिकाने
हाल ही विमुद्रीकरण के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक टास्क फोर्स बना कर इन फर्जी कंपनियों के बनने पर रोक लगाने का काम शुरू किया. टास्क फोर्स का कहना है कि ऐसी कंपनियों में नवंबर-दिसंबर के दौरान 1,238 करोड़ रुपये बैंकों में जमा हुए हैं. 559 उपभोक्ताओं ने 54 प्रोफेशनल की मदद से 3900 करोड़ रुपयों को ठिकाने लगाया. ईडी कोलकाता की 90 फर्जी कंपनियों की जांच-पड़ताल कर रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कई फर्जी कंपनियों के पीछे तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेता भी शामिल हैं. जल्द ही सीबीआई इन पर पूर्ण जांच करके मुकदमा करने वाली है.
सेबी के रडार पर बंगाल की प्रमुख चिटफंड कंपनियां
विबग्योर, एलाईड इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजवैली रियल इस्टेट कंस्ट्रक्सन, रोजवैली इंडस्ट्रीज, सिल्वर वैली कम्यूनिकेशन, माॅर्डन इंवेस्टमेंट ट्रेडर्स, रुपसी बंगला प्रोजेक्ट्स, आरटीसी प्रोपर्टीज इंडिया, गोल्डमाइन एग्रो, टावर इंफोटेक, चक्रा इंफ्रा एण्ड साई, गोल्ड फाल्ड एग्रो, आईकोर ई सर्विस, एमपीएस एक्वा मैराईन प्रोडक्टस, एमपीएस ग्रिनरी डेवलपरर्स, प्रयाग इंफोटेक हाइराईजड, प्रयाग इंफ्रारिलेटर्स, राहुल हाईराइस, रामेल इंडस्ट्रीज़, यूरो एग्रो इंडिया, पैलान एग्रो इंडिया लिमिटेड, एस्पेन प्रोजेक्ट्स इंडिया लि., गोल्डेन लाइफ एग्रो इंडिया लि., ग्रेटर कोलकाता इंफ्रास्ट्रक्चर लि, जीएसएचपी रियलटेक लि, प्रोमोटेक इंफ्राटेक लि, मेगा मौल्ड इंडिया लि, पीएएफएल इंडस्ट्रीज लि, सनप्लांट कंस्ट्रक्शन लि, सनप्लांट रीयल एस्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर लि, एमबीके बिजनेस डेवलपमेंट इंडिया लि, ग्रीनटच प्रोजेक्ट्स लि, फॉल्कन इंडस्ट्रीज इंडिया लि, प्रोजेस कल्टीवेशन लि, पिन्नाकल वेंचर इंडिया लि, वियर्ड इंडस्ट्रीज लि, एनवीडी सोलर लि, सुरक्षा एग्रो इंडिया लि, सिलिकॉन प्रोजेक्ट्रस लि.
2011-15 के बीच बंगाल में 17000 फर्जी कंपनियों का हुआ पंजीकरण
देश में कुल 15 लाख कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से छह लाख कंपनियां ही नियमित आय कर का रिटर्न फाइल करती हैं. इनमें से लाखों कंपनियां केवल कागजों पर ही हैं, जिन्हें फर्जी कंपनी कहा जाता है. यह कंपनियां वास्तव में नहीं हैं. चिटफंड कंपनियों की तरह ही देश भर में सबसे अधिक फर्जी कंपनियां पश्चिम बंगाल में ही है, इनका उपयोग काली कमाई को सफेद और सफेद को काला करने के लिए किया जाता है. 2011-2015 के बीच पश्चिम बंगाल में 17,000 शेल कंपनियां बनी. बंगाल में पनप रही इन फर्जी कंपनियों के बारे में काले धन पर बनी एसआईटी ने भी खुलासा किया है.
आखिर कोलकाता में ही क्यों पनपती हैं फरजी कंपनियां
कोलकाता में इस तरह के काम करनेवाले प्रोफेशनल सस्ते में उपलब्ध हैं. पश्चिम बंगाल में औद्योगिक और व्यापारिक प्रगति पहले की तुलना बहुत गिर चुकी है, जिसकी वजह से एकाउंट और सीए के प्रोफेशनल बहुत सस्ते में यहां मिल जाते हैं.
एक करोड़ रुपये पर 24 प्रतिशत टैक्स देने के हिसाब से 24 लाख रुपये लगते हैं, लेकिन कोलकाता में किसी भी शेल कंपनी के ऑपरेटर को 50 से 70 हजार रुपये दीजिये, आपके टैक्स के 24 लाख रुपये बचा देता है. एक अनुमान के अनुसार, कोलकाता में 150000 शेल कंपनियां हैं, जिनके लिए 6,000 चार्टड एकाउंटेंट गैरकानूनी तरीके से काम करते हैं.

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