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दिव्यांग बच्चों के लिए मदद मांगने पर मंत्री ने लगायी फटकार

मां ने कहा, मंत्री बच्चू हांसदा से नहीं थी ऐसी उम्मीद ममता की सभा के दौरान अर्जी देना चाहती थी मां मीना मंडल मंत्री ने मदद करने की जगह, लगायी फटकार बच्चू हांसदा ने आरोप को बताया गलत बालूरघाट : बिस्तर से उठने में अक्षम पूरी तरह दिव्यांग दो बच्चों के इलाज के लिए सहायता […]

मां ने कहा, मंत्री बच्चू हांसदा से नहीं थी ऐसी उम्मीद
ममता की सभा के दौरान अर्जी देना चाहती थी मां मीना मंडल
मंत्री ने मदद करने की जगह, लगायी फटकार
बच्चू हांसदा ने आरोप को बताया गलत
बालूरघाट : बिस्तर से उठने में अक्षम पूरी तरह दिव्यांग दो बच्चों के इलाज के लिए सहायता मांगने गयी महिला को मंत्री की फटकार झेलनी पड़ी. आरोप है कि मंत्री ने साफ कह दिया कि किसी तरह की सहायता के लिए उन्हें कभी परेशान न किया जाये. उत्तर बंगाल विकास विभाग के राज्यमंत्री बच्चू हांसदा के इस आचरण से लोग हतप्रभ हैं. एक तरह मुख्यमंत्री हमेशा आम आदमी के सुख-दुख में साथ खड़ा होने का संदेश देती हैं, तो दूसरी तरफ उनके मंत्री का ऐसा व्यवहार. हालांकि मंत्री ने महिला को फटकराने की घटना से इनकार किया है.
दक्षिण दिनाजपुर जिले के बालूरघाट ब्लॉक की डांगा ग्राम पंचायत में बदलपुर गांव है. इसी गांव के निवासी हैं पेशे से राजमिस्त्री चंचल मंडल और मीना मंडल. उनकी दो संतान हैं. 21 साल की मामुनी मंडली जन्म से विकलांग है. वहीं 17 साल का राजू मंडल सात साल पहले तक ठीक था. गांव के स्कूल में पढ़ता भी था. लेकिन वह भी अचानक तंत्रिका रोग का शिकार हो गया. धीरे-धीरे उसने भी पूरी तरह बिस्तर पकड़ लिया.
दोनों संतानों को लेकर यह परिवार काफी मुश्किल में है. ठीक से भोजन मिलना भी मुश्किल हो गया है. थोड़ी बहुत जहो जगह-जमीन थी वह बच्चों के इलाज में बिक गयी. चिकित्सकों का कहना है कि बेटी जन्म से दिव्यांग है, इसलिए वह ठीक नहीं हो सकती. लेकिन राजू का अगर नियमित इलाज हो, तो वह सामान्य हो सकता है. इसलिए परिवार राजू का इलाज कराना चाहता है, लेकिन उनके पास जो कुछ था सब खत्म हो चुका है. परिवार ने कई सरकारी महकमों के चक्कर काटे, लेकिन कहीं से इलाज के लिए आर्थिक सहायता का जुगाड़ नहीं हो सका.
हालांकि बेटी के लिए बालूरघाट पंचायत समिति की ओर से हर महीने छह सौ रुपये भत्ता दो साल पहले मिलना शुरू हुआ है. दोनों भाई-बहन पूरी तरह बिस्तर पकड़ चुके हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग उन्हें 100 फीसद दिव्यांग नहीं करार दे रहा है.
इसलिए विकलांग लोगों को मिलनेवाली सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. सबकुछ बेचकर यह परिवार बेटी और बेटे के इलाज के लिए मालदा, सिलीगुड़ी से लेकर कोलकाता और बेंगलुरु तक जा चुका है. लेकिन आर्थिक समस्या की वजह से नियमित इलाज नहीं हो पा रहा है.
दोनों दिव्यांग संतानों की मां मीना मंडल ने बताया कि हाल ही में बंशीहारी ब्लॉक के नारायणपुर में मुख्यमंत्री की सभा थी. मुख्यमंत्री के मानवीय स्वभाव को सभी जानते हैं. इसीलिए उन्होंने मंगलवार को तपन के विधायक तथा मंत्री बच्चू हांसदा को फोन किया. उन्होंने मंत्री से सहायता करने और मुख्यमंत्री के पास अपनी अरजी किसी तरह पहुंचा देने का अनुरोध किया. इस पर फटकार लगाते हुए मंत्री ने कहा कि ममता-तमता करो नहीं. इसमें क्या सहायता की जा सकती है? दोबारा फोन करके या घर आकर परेशान करना नहीं. मीना मंडल ने कहा कि मंत्री के इस आचरण से वह रोने लगी. एक जननेता और मंत्री से चोट पहुंचानेवाले इस व्यवहार की उम्मीद कतई नहीं थी.
इस बारे में संपर्क किये जाने पर बच्चू हांसदा ने कहा कि डांट-फटकार की बात बनावटी है. मैंने उस महिला को सिर्फ यह कहा था कि इतने कम समय में मुख्यमंत्री तक पहुंचाना संभव नहीं है. ऐसे काम के लिए बीडीओ से मिलने को उससे कहा गया. जब तक यह मामला सरकारी रूप से उनके सामने नहीं आता, कोई सहायता करना संभव नहीं है.

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