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आइसीयू बना वीआइपी यूनिट

सदर अस्पताल. आम लोग होते हैं रेफर, नहीं मिलती है सुविधा सदर अस्पताल के आइसीयू वार्ड का लाभ आम लोगों को नहीं मिल पाता है. आइसीयू के आधुनिक चिकित्सा मशीन से लैस होने के बावजूद यहां से मरीजों को रेफर करने को ही प्राथमिकता दी जाती है. पूर्णिया : सदर अस्पताल का आइसीयू वार्ड आधुनिक […]

सदर अस्पताल. आम लोग होते हैं रेफर, नहीं मिलती है सुविधा

सदर अस्पताल के आइसीयू वार्ड का लाभ आम लोगों को नहीं मिल पाता है. आइसीयू के आधुनिक चिकित्सा मशीन से लैस होने के बावजूद यहां से मरीजों को रेफर करने को ही प्राथमिकता दी जाती है.
पूर्णिया : सदर अस्पताल का आइसीयू वार्ड आधुनिक चिकित्सा मशीन से लैस होने के बावजूद गंभीर मरीजों को मयस्सर नहीं है. यहां की सघन चिकित्सा इकाई में केवल वीआइपी नेताओं को भरती किया जाता है. अन्य मरीजों को यहां से रेफर कर दिया जाता है. स्थिति यह है कि आइसीयू गरीबों के लिए नहीं बल्कि वीआइपी लोगों के लिए ही सुरक्षित रखा गया है. प्रधानमंत्री अथवा मुख्यमंत्री का जब दौरा होता है तो अचानक आइसीयू सुर्खियों में आ जाता है. वीआइपी के लिए इसे तैयार कर दिया जाता है
और आननफानन में डॉक्टर भी प्रतिनियुक्त कर दिये जाते हैं. आइसीयू के रिकार्ड को देखने से पता चलता है कि अब तक केवल सांसद और विधायक स्तर के मरीज ही इसकी सेवा का लाभ उठा पाये हैं. विभाग के आला अधिकारी के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि नेताओं के भरती होने पर उसी क्षमता में कहां से ट्रेंड डॉक्टर और नर्स 24 घंटे और तीन शिफ्ट में उपलब्ध हो जाते हैं. जाहिर है कि सदर अस्पताल प्रबंधन मरीजों के पद और आर्थिक हैसियत के हिसाब से मरीजों के साथ दोहरा मापदंड अपनाता रहा है.
10 साल से अस्तित्व में है आइसीयू
सदर अस्पताल में वर्ष 2007 में आइसीयू सेवा प्रारंभ की गयी थी. शुरुआत में आइसीयू बर्न वार्ड में संचालित किया गया था. 2010 में आइसीयू भवन बनकर तैयार हो गया. तत्कालीन मंत्री ने नये भवन में आइसीयू सेवा का उद्घाटन किया था. इस बीच तत्कालीन सिविल सर्जन ने आइसीयू के चालू होने की न सिर्फ पुष्टि की बल्कि इस बारे में सीएस की सूचना पर तत्कालीन आरडीडी ने आइसीयू के संचालित होने के बारे में रिपोर्ट भी कर दी. इस तरह, पिछले कई सालों से कागज पर आइसीयू को संचालित दिखाया जा रहा है. सदर अस्पताल में आइसीयू वार्ड खुले लगभग 10 वर्ष हो गये लेकिन अब तक यहां एक भी गंभीर और मरीज का इलाज नहीं किया गया.
आपातकालीन वार्ड से ही रेफर हो जाते हैं गंभीर स्थित वाले मरीज
हृदय रोग का ओपीडी होने के बाद भी आइसीयू का खाली रहना आइसीयू के उद्देश्य पर एक बड़ा सवाल है. अस्पताल कर्मियों के अनुसार आपातकालीन वार्ड में ही गंभीर मरीजों का इलाज किया जाता है. अगर स्थिति बिगड़ने लगती है तो रेफर करने में कोई देरी नहीं की जाती है. ऐसा माना जाता है कि मरीज के परिजनों के हो-हंगामा से बचने के लिए अस्पताल प्रबंधन जोखिम नहीं उठाना चाहता है. अस्पताल में सुरक्षा कर्मियों के अभाव के कारण डॉक्टर्स जोखिम उठाना नहीं चाहते हैं. अस्पताल के एक डॉक्टर ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि अस्पताल में एक भी ट्रेंड डॉक्टर व नर्स नहीं हैं, जिन्हें आइसीयू सेवा में लगाया जा सके. इसके अलावा डॉक्टर, नर्स व टेक्नीशियन की संख्या भी काफी कम है.
आइसीयू में ऑर्थो ओटी और परिवार नियोजन
आइसीयू के उपकरण और बेड तो धूल फांक रहे हैं, पर आइसीयू भवन का इस्तेमाल अन्य कार्यो में हो रहा है. सदर अस्पताल शायद देश का पहला अस्पताल होगा, जिसके आइसीयू भवन में परिवार नियोजन का ऑपरेशन होता है. वर्तमान में जिले के एक वरीय स्वास्थ्य अधिकारी ने तत्कालीन सिविल सर्जन को झांसे में लेकर आइसीयू के एक हिस्से में ऑर्थो ओटी का भी निर्माण करा दिया. आलम यह है कि आइसीयू के बेड खाली हैं, पर ऑर्थो ओटी में मरीज काफी संख्या में अपना इलाज करा रहे हैं.
बोले सीएस
आइसीयू में गंभीर मरीज को भरती किया जाने का नियम है, लेकिन ट्रेंड डॉक्टर्स व नर्स की कमी के कारण आइसीयू सेवा देने में परेशानी हो रही है. इस बाबत विभाग को अवगत करा दिया गया है. हालांकि गंभीर मरीजों का इलाज इमरजेंसी में किया जाता है.
डाॅ एमएम वसीम, सिविल सर्जन

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