नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की ओर से देश के अंदर कालेधन और अवैध संपत्ति रखने वालों पर की गयी सख्त कार्रवाई का असर अब दिखायी देने लगा है. इसी का नतीजा है कि देश में करदाताओं की संख्या में करीब 95 लाख का इजाफा हुआ है. बताया यह भी जा रहा है कि नोटबंदी के माध्यम से कालेधन के खिलाफ सरकार की ओर से चलाये गये अभियान के साथ आयकर विभाग की ओर से की गयी कार्रवाइयों और छापेमारी की वजह से करदाताओं की इस संख्या में वृद्धि दर्ज की गयी है. अभी हाल ही में राजस्व विभाग की ओर से सरकार के पेश किये गये आंकड़ों में आयकर रिटर्न भरने वाले नये करदाताओं की संख्या के बारे में जानकारी दी गयी है. राजस्व विभाग के आला अधिकारियों ने इन आंकड़ों को प्रधानमंत्री के समक्ष पेश किया है.
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राजस्व विभाग के अधिकारियों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिये गये आंकड़ों में इस बात का जिक्र किया गया है कि नोटबंदी से पहले तक देश की कुल जनसंख्या में से करीब एक फीसदी लोग ही आयकर का भुगतान किया करते थे, लेकिन नोटबंदी के बाद सरकार की ओर से कालेधन के खिलाफ उठाये गये सख्त कदम के बाद वित्त वर्ष 2016-17 में करीब 5 करोड़ 28 लाख लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया था. इस वित्त वर्ष के दौरान आयकर रिटर्न भरने वाले लोगों में करीब 22 फीसदी वृद्धि दर्ज की गयी.
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गौरतलब है कि देश में कालाधन रखने वालों के खिलाफ सघन कार्रवाई करते हुए आयकर विभाग ने करीब 18 लाख ऐसे लोगों की पहचान की थी, जिन्होंने नोटबंदी की घोषणा के बाद भारी मात्रा में 500 और 1000 रुपये के पुराने बड़े नोटों को अपने बैंक खातों में जमा कराये थे.
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आयकर विभाग के सामने चौंकाने वाली बात यह भी आयी कि जिन लोगों ने अपने बैंक खातों में इतनी बड़ी राशि के पुराने नोटों को जमा कराया है, उनका नाम आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की सूची में शामिल नहीं है. इस बात की भनक लगते ही आयकर विभाग ने उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें आयकर रिटर्न दाखिल करने पर मजबूर कर दिया.
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