मुंबई : सरकारी खजाने की कमजोर स्थिति का हवाला देते हुए वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भारत के लिए अपनी सरकारी रेटिंग मंगलवार को ‘बीबीबी-‘ पर 11 साल पुरानी रखते हुए वर्तमान परिदृश्य को स्थिर बताया. रेटिंग का स्तर निवेश कोटि में सबसे नीचे है. अमेरिकी एजेंसी ने भारत को यह रेटिंग लगभग एक दशक पहले दी थी. तब से इसमें कोई बदलाव नहीं किया है. एजेंसी का अनुमान कि भारत की ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2017 व 2018 में बढ़ कर 7.7 प्रतिशत हो जायेगी. जो कि वित्त वर्ष 2016 में 7.1 प्रतिशत रही.
भारत में सरकार व अनेक विश्लेषक वैश्विक एजेंसियों द्वारा दी जानेवाली रेटिंग पर सवाल उठाते रहे हैं. उनका तर्क है कि बदलते कुछ वर्षों में देश की आर्थिक बुनियाद में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है रेटिंग एजेंसियां इस पर ध्यान ही नहीं दे रही हैं. सरकार ने अपनी आर्थिक समीक्षा 2017 में भी चीन की तुलना में भारत की रेटिंग तय करने में ‘भिन्न’ मानकों का पालन करने के लिए रेटिंग एजेंसियों की आलोचना की थी. इसमें कहा गया था कि ये एजेंसियां जीएसटी जैसी सुधारों को अपनी ‘गणना’ में शामिल नहीं कर रही जो कि उनकी खराब ‘साख’ को ही परिलक्षित करता है.
फिच ने इससे पहले भारत की सरकारी रेटिंग को एक अगस्त 2006 में बीबी प्लस से बीबीबी- (स्थिर परिदृश्य के साथ) किया था. फिच ने कहा है,‘ सरकारी बांडों की बीबीबी- रेटिंग में मजबूत मध्यावधि वृद्धि और अनुकूल बाह्य संतुलनों के साथ-साथ कमजोर राजकोषीय स्थिति और कठिन व्यावसायिक वातावरण के बीच बीच संतुलन साधनेवाली है.
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