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पटना विश्वविद्यालय परिसर से तत्काल हटाएं अतिक्रमण

जिलाधिकारी, पटना के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम का िकया गठन पटना : पटना हाइकोर्ट ने मंगलवार को पटना के डीएम के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम का गठन कर पटना विवि परिसर से सभी अतिक्रमण को पहचान कर हटाने का आदेश दिया है. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति सुधीर सिंह की खंडपीठ ने […]

जिलाधिकारी, पटना के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम का िकया गठन
पटना : पटना हाइकोर्ट ने मंगलवार को पटना के डीएम के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम का गठन कर पटना विवि परिसर से सभी अतिक्रमण को पहचान कर हटाने का आदेश दिया है. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति सुधीर सिंह की खंडपीठ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार कोई भी सार्वजानिक जमीन पर धर्म की आड़ में मंदिर नहीं बनाया जा सकता है.
कोर्ट ने ऐसा तब कहा जब जनहित याचिका के याचिकाकर्ता गुड्डू बाबा ने कोर्ट के समक्ष जिरह करते हुए कहा की पटना के सर्किल ऑफिसर के यहां पीयू परिसर में अतिक्रमण कर रह रहे लोगों के रिकार्ड है कि जिन लोगों से जमीन विवि के लिए ली गयी थी सबको मुआवजा दिया गया है. अब वे लोग मंदिर स्थापित कर उसकी आड़ में जमीन पर अतक्रिमण कर रह रहे थे.
याचिकाकर्ता ने कहा कि इसी तरह का मामला एनआइटी के करीब भी है. गोलकपुर स्थित जमीन का भी अतिक्रमण हुआ था. इसे पटना प्रशासन ने दस्तावेज के अाधार पर सिद्ध कर दिया की अतिक्रमणकारियों ने यहां भी जमीन का मुआवजा ले लिया था. लेकिन कानूनी तौर पर उन्हें यहां रहने का कोई हक नहीं है.
मैट्रिक की काॅपी जांच मध्य विद्यालय शिक्षकों ने कैसे की : कोर्ट
पटना. पटना उच्च न्यायलय ने राज्य सरकार और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से पूछा है कि किस आधर पर मैट्रिक की परीक्षा की कापियों को मध्य विद्यालय के शिक्षकों ने जांची है.
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को आल इंडिया इंस्टट्यिूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज एम्स पटना, को एक सप्ताह में जवाब देने को कहा है की क्या एम्स में अभी तक इसके नियमों के अनुसार अभी तक सभी सुविधाएं दी जा रही है या नहीं.
यह आदेश उच्च न्यायालय के अधिवक्ता मुक्तेश्वर दयाल की जनहित याचिका पर पारित किया गया. याचिकाकर्ता ने कहा की एम्स पटना में मेडिकल की पढ़ाई हो रही है लेकिन उसके लिए अावश्यक सभी विभाग और पढ़ाई की सुविधा नहीं है. उन्होंने आगे कहा की एम्स पटना में मरीजों के इलाज के लिए भी कई विभाग नहीं है, ब्लड बैंक, नहीं है, मशीनें नहीं हैं.
कोर्ट ने आदेश दिया की इस जनहित याचिका के साथ कौंसिल फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ पब्लिक राइट्स एंड वेलफेयर की जनहित याचिका को जोड़ा जाया क्योंकि यह जनहित याचिका जो उच्च न्यायालय के अधिवक्ता स्वर्गीय एमपी गुप्ता के द्वारा एम्स को पटना में खोलने के लिए लड़ा गया था, अभी भी लंबित है. एमपी गुप्ता के कई वर्षों तक बहस करने के बाद उच्च न्यायलय के कई आदेश केंद्र सरकार और राज्य सरकार को देने के बाद एम्स पटना में चालू हो पाया था. कोर्ट ने कहा कि अभी भी उनका प्रयास सफलीभूत नहीं हुआ.
एम्स को बनाया जाना था सुपर स्पेशियलिटी : अपनी जन हित याचिका में मुकेश्वर दयाल ने खुद बहस करते हुए कहा की एम्स पटना अपने हलफनामे में कहा है कि यहां एनाटोमी विभाग में कैडवर (लाश) जिसपर मेडिकल छात्र आदमी के विभिन्न अंगो के ऑपरेशन के लिए डिसेक्शन कर सीखते हैं, उपलब्ध नहीं हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि एम्स पटना को सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल के रूप में बनाया जाना था.
लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. क्योंकि इसके लिए अभी कई विभाग जैसे नेफ्रोलॉजी विभाग किडनी के इलाज के लिए, न्यूरोलॉजी एंड नीरो सर्जरी विभाग सहित कई विभाग अभी तक सही रूप से नहीं खुले हैं.
सिर्फ 52 डॉक्टर कर रहे हैं काम : एम्स की ओर से अपने हलफनामे में माना कि अभी यहां सिर्फ 52 शिक्षक डॉक्टर काम कर रहे हैं. जबकि, इन्हें 305 होना था. हलफानामे में कहा गया कि एम्स पटना का हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा से टाई उप हो रहा है. जिसमें कैडवर सप्लाइ का काम हो सकेगा. इसके साथ ही एनाटोमी बेड के लिए भी निविदा की जा रही है.

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