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सरकारी स्तर पर नहीं हुई लाह की खरीदारी

लाह की बिक्री के लिए हाट बाजार में घूम रहे किसान खरसावां : सरायकेला खरसावां जिला में अभी तक सरकारी स्तर पर लाह की खरीदारी नहीं हो सकी है. इस कारण लाह किसानों को अपने कच्चे माल लाह की बिक्री के लिए हाट बाजार में घूमना पड़ रहा है. किसानों को सरकार की ओर से […]

लाह की बिक्री के लिए हाट बाजार में घूम रहे किसान

खरसावां : सरायकेला खरसावां जिला में अभी तक सरकारी स्तर पर लाह की खरीदारी नहीं हो सकी है. इस कारण लाह किसानों को अपने कच्चे माल लाह की बिक्री के लिए हाट बाजार में घूमना पड़ रहा है. किसानों को सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. जानकारी के अनुसार जनजाति कार्य मंत्रालय ने लाह की खरीदारी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिया है. कुसुमी छिल्ली लाह के लिए 320 रुपये एवं रंगीनी लाह के लिए 230 रुपये प्रति किलो का दर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है. लेकिन सरकारी स्तर पर लाह की खरीद नहीं होने के कारण किसानों को छिल्ली लाह 180 रुपये एवं रंगीनी लाह 150 रुपये प्रति किलो की दर पर बेचना पड रहा है.
लाह की खेती में 200 एसएचजी सक्रिय: सरायकेला खरसावां जिला में बड़े पैमाने पर लाह की खेती होती है. लाह की खेती में सरायकेला, खरसावां, ईचागढ़, नीमडीह व चांडिल क्षेत्र में करीब 200 स्वयं सहायता समूहों सक्रिय है. लाह की खेती बैर, कुसुम व पलाश के पेड़ों पर होती है. इससे गांव की महिलाओं को रोजगार भी मिलता है.
लाह की चूड़ी व हैंडीक्राफ्ट की काफी मांग: लाह से मुख्य रूप से चूड़ियां बनती है, जिनकी देश विदेश में काफी मांग है. इसके अलावा लाह का इस्तेमाल हैंडीक्राफ्ट, परफ्यूम, वर्निस, फलों की कोटिंग व जरूरी पैकेट को सिल करने में भी किया जाता है. झारक्राफ्ट की ओर से भी खरसावां समेत जिला के विभिन्न क्षेत्रों में लाह की चूड़ी व माला बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है.

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