हाजीपुर : एक ओर सरकार पीड़ितों को न्याय दिलाने तथा अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए तत्पर है. स्पीडी ट्रायल के माध्यम से अपराधियों को सजा दिलाने के लिए सजग है. ऐसे में अधिकारियों की कमी से लंबित कांडों का निष्पादन समय पर नहीं हो रहा है. जिले में डीएसपी के पांच स्वीकृत पदों की जगह मुख्यालय डीएसपी और ट्रैफिक डीएसपी का पद खाली है. सदर अस्पताल में चिकित्सक के साथ अभद्र व्यवहार के आरोप में तत्कालीन मुख्यालय डीएसपी सियाराम गुप्ता का स्थानांतरण पटना मुख्यालय में होने के बाद यह पद रिक्त है. ट्रैफिक डीएसपी का पद वर्षों से खाली है.
यातायात पुलिस की चरमरायी व्यवस्था से शहर में जाम की समस्या नासूर बन गयी है. सार्जेंट के लिए स्वीकृत चार और परिचारी के लिए स्वीकृत दोनों पद रिक्त हैं. सब इंस्पेक्टर रीणा कुमारी बीते डेढ़ साल से सार्जेंट के प्रभार में हैं. वहीं जिले में इंस्पेक्टर के स्वीकृत 28 पदों के लिए 22 कार्यरत हैं. सब इंस्पेक्टर के स्वीकृत पद की जगह 134 सब इंस्पेक्टर पदस्थापित हैं. सहायक अवर निरीक्षक की भी कमी है. जिले में 108 सहायक अवर निरीक्षक कार्यरत हैं जबकि स्वीकृत पद 194 हैं. स्थिति यह है कि सुरक्षा बलों के साथ रहने वाले सूबेदार के स्वीकृत पांच की जगह जिले में महज एक सूबेदार कार्यरत हैं.
सूबेदार की कमी से ड्यूटी बांटने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिले में 1308 की जगह 807 सिपाही हैं, जिनमें 300 प्रशिक्षु हैं. अर्थात महज 507 सिपाहियों के भरोसे जिले की सुरक्षा हो रही है. सबसे आश्चर्य पहलू यह है कि जिले में पुलिस जीप चालक के लिए 70 पद स्वीकृत है, जिनमें ज्यादातर रिटायर्ड हो गये. महज नौ चालक ही रेकॉर्ड में सरकारी जीप चालक हैं.