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भवनों में दिव्यांगों के लिए सु‍विधाएं नहीं

राज्य सरकार ने की 21 सरकारी भवनों की पहचान, केंद्र को लिखा पत्र, नहीं मिला जवाब अजय विद्यार्थी कोलकाता : महानगर में केंद्र एवं राज्य सरकार के कई ऐसे भवन और कार्यालय हैं, जहां दिव्यांग के लिए किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं हैं. इससे दिव्यांगों को काफी परेशानी होती है. राज्य महिला व शिशु […]

राज्य सरकार ने की 21 सरकारी भवनों की पहचान, केंद्र को लिखा पत्र, नहीं मिला जवाब
अजय विद्यार्थी
कोलकाता : महानगर में केंद्र एवं राज्य सरकार के कई ऐसे भवन और कार्यालय हैं, जहां दिव्यांग के लिए किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं हैं. इससे दिव्यांगों को काफी परेशानी होती है. राज्य महिला व शिशु कल्याण विभाग के अधीन दिव्यांग आयोग ने केंद्र सरकार को महानगर के 21 भवनों एवं कार्यालयों की सूची भेजी है, जिनमें दिव्यांगों के लिए कोई सुविधा नहीं है. लगभग तीन महीने पहले राज्य सरकार की ओर से दिये गये पत्र का अब तक जवाब नहीं मिला है. साथ ही सड़कों पर श्रवण संबंधित सुविधाएं नहीं हैं. इस कारण दृष्टिहीनों को रास्ते की पहचान में दिक्कत होती है.
दिव्यांग को देख बस नहीं रोकते चालक : पश्चिम बंगाल दिव्यांग आयोग के वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि प्राय: यह शिकायत मिलती है कि दिव्यांगों के लिए बस नहीं रुकती, क्योंकि उन्हें चढ़ाने में विलंब होता है. कई बार कंडक्टर द्वारा दिव्यांगों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है. उनका कहना है कि ऐसी शिकायत मिलने पर आरोपी ड्राइवर व कंडक्टर को तलब किया जाता है. उन पर जुर्माना भी लगाया जाता है. बता दें कि दिव्यांग व्यक्ति को राज्य परिवहन निगम संचालित बसों (डिलक्स/रॉकेट और अंतर्राज्यीय को छोड़कर), पश्चिम बंगाल परिवहन निगम की बसों एवं ट्राम में नि:शुल्क यात्रा का प्रावधान है.
राज्य में दिव्यांग की आबादी 2.21 फीसदी
2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में कुल 20,17,406 दिव्यांग हैं. यह कुल आबादी का 2.21 फीसदी है. इनमें दृष्टिहीनों की संख्या 424473, श्रवण दिव्यांगों की संख्या 315192, मूक दिव्यांगों की संख्या 1477336, चलने फिरने में लाचार लोगों की संख्या 322945 है. इसके अतिरिक्त अन्य दिव्यांग भी हैं.
किन सुविधाओं के हकदार हैं दिव्यांग
बाधामुक्त वातावरण के हकदार
यातायात में : सरल प्रवेश का आरंभ, यातायात के साधनों में शौचालय की व्यवस्था इस रूप से करना कि व्हील चेयर इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति आसानी से प्रयोग कर सके.
सड़क पर प्रयुक्त सड़कों पर लाल बत्ती के संकेत के साथ-साथ श्रवण संबंधी संकेत भी लगाये जायें. टेढे एवं स्लोप (ढलान) वाली संरचना की जाये, जिससे व्हील चेयर प्रवेश कर सके
इमारतों में प्रवेश के लिए ढलान एवं हैडरेल का प्रावधान. व्हील चेयर प्रयोग करने वाले व्यक्तियों के लिए शौचालय का समुचित निर्माण करना. उभरे हुए संकेतों में ऊपर उठने वाली मशीनों एवं लिफ्टों में श्रवण संबंधी संकेत लगाना.

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