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पेड़ के छांव में संचालित है स्कूल

परेशानी. राजकीय प्राथमिक रेलवे बालिका विद्यालय को भवन नसीब नहीं शिक्षा कार्यालय से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर संचालित भूमि व भवनहीन राजकीय प्राथमिक रेलवे बालिका विद्यालय आज भी विभागीय उपेक्षा का दंश झेलने पर विवश है. सुपौल : शिक्षा कार्यालय से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर संचालित भूमि व भवनहीन […]

परेशानी. राजकीय प्राथमिक रेलवे बालिका विद्यालय को भवन नसीब नहीं

शिक्षा कार्यालय से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर संचालित भूमि व भवनहीन राजकीय प्राथमिक रेलवे बालिका विद्यालय आज भी विभागीय उपेक्षा का दंश झेलने पर विवश है.
सुपौल : शिक्षा कार्यालय से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर संचालित भूमि व भवनहीन राजकीय प्राथमिक रेलवे बालिका विद्यालय आज भी विभागीय उपेक्षा का दंश झेलने पर विवश है. आलम यह है कि यह विद्यालय भले ही शिक्षा विभाग के निर्देश पर संचालित हो रहा हो, लेकिन विद्यालय की पठन-पाठन व्यवस्था प्राकृतिक इच्छा के मुताबिक संचालित हो रहा है. विकास के इस दौर में जब हरेक विद्यालयों को चकाचक भवन सहित अन्य संसाधनों से लैस कराया जा चुका हो.
ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि शिक्षा विभाग में कहीं न कहीं दो तरह के कायदे चलते है. स्थानीय लोगों ने बताया कि बारिश के दिनों में जलजमाव के कारण अधिकांश बच्चे स्कूल नहीं आ पाते हैं. वहीं स्कूल की संरचना पर गौर करें तो विद्यालय प्रबंधन द्वारा अस्थायी रूप से बांस के टट्टी व चदरा से विद्यालय परिसर का बैरिकेट किया गया है, जो सुरक्षा के लिहाज से नाकाफी है. लेकिन जिला मुख्यालय स्थित वर्ष 1962 से संचालित को अबतक भूमि उपलब्ध नहीं कराया गया है.
इस कारण उक्त विद्यालय के नामांकित बच्चों को पठन-पाठन का कार्य खुले या पेड़ के छांव में करने पर विवश होना पड़ रहा है. जबकि भूमि उपलब्ध कराने की दिशा में विद्यालय प्रबंधन द्वारा कई बार रेलवे के डीआरएम कार्यालय को आवेदन दिया जा चुका है. इसे विभागीय उदासीनता कहें या कुछ और कि रेलवे को जमीन उपलब्ध रहने के बावजूद विद्यालय प्रबंधन के अनुरोध को फाइलों के नीचे दबा दिया गया है. उक्त विद्यालय के लिए आधारभूत शिक्षा की गुणवत्ता फिलहाल एक चिंता का विषय बना हुआ है.
सघन आबादी का है पोषक क्षेत्र : गौरतलब हो कि उक्त विद्यालय का पोषक क्षेत्र सघन आबादी का रहा है. साथ ही आसपास के क्षेत्रों में विद्यालय का संचालन नहीं रहने के कारण वार्ड संख्या चार, सात, आठ, नौ व 10 सहित लोहियानगर, खगड़िया बासा, जिला परिषद पथ, आंबेडकर चौक सहित रेलवे कॉलोनी के बच्चे राजकीय प्राथमिक रेलवे बालिका विद्यालय में दाखिला लेते हैं, लेकिन विद्यालय के भूमि व भवनहीन रहने के कारण सामर्थ्यवान अभिभावक बच्चों का निजी विद्यालयों में दाखिला करवाते हैं.
कई बार संबंधित विभागीय अधिकारी को भूमि की उपलब्धता के लिए पत्राचार किया गया है. बावजूद अबतक इस दिशा में समुचित पहल नहीं की गयी है. उपलब्ध संसाधन के अनुरूप चार शिक्षकों द्वारा पठन- पाठन का कार्य कराया जा रहा है.
दुर्बल पासवान, प्रधानाध्यापक, राजकीय रेलवे बालिका विद्यालय

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