आरा : सहार में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में मरीज खासा परेशान हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं का घोर अभाव है. अब तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में उत्क्रमित नहीं किया जा सका है. जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में उत्क्रमित करने के लिए भवन निर्माण करने को लेकर विभाग को 75 लाख की राशि वर्ष 2010 में ही प्राप्त हो चुकी है. हालांकि इसके लिए भवन के निर्माण का कार्य काफी हद तक पूरा हो चुका है.
पर हालात यह है कि नवनिर्मित भवन में विभाग द्वारा मरीजों को नहीं देखा जा रहा है. वहीं कुव्यवस्था के कारण नवनिर्मित भवन की खिड़की के शीशे कई जगह तोड़ दिये गये हैं. वहीं भवन को भी कई जगह क्षति पहुंचायी गयी है. जबकि सरकार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का प्रचार जोर-शोर से करती है, पर धरातल पर नजारा कुछ और ही देखने को मिल रहा है. सरकार की उदासीनता के कारण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मानक के अनुसार प्रखंडवासियों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.
भवन निर्माण के लिए मिले 75 लाख : पीएचसी को सीएचसी में बदलने के लिए भवन निर्माण करने को लेकर विभाग को 30 जून, 2010 को ही 75 लाख की राशि आवंटित की जा चुकी है. भवन निर्माण का कार्य भवन प्रमंडल, आरा द्वारा किया जाना था. हालांकि नया भवन काफी हद तक बन चुका है. पर सात वर्षों के बाद भी अब तक पूरा नहीं हो पाया है.
ढाई लाख की जनसंख्या पर एक सीएचसी की आवश्यकता : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मानक के अनुसार बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए 80 हजार से एक लाख की जनसंख्या पर एक सीएचसी का होना आवश्यक है. हालांकि अब भी राष्ट्रीय औसत ढाई लाख के आसपास हैं. जबकि बिहार में इसका औसत लगभग साढ़े तीन लाख की जनसंख्या है. वहीं चार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के ऊपर एक सीएचसी की स्थापना मानक के अनुसार सरकार को करनी है. चारों पीएचसी के लिए रेफरल केंद्र के रूप में सीएचसी को कार्य करना है.
सरकार की उदासीनता से अब तक नहीं मिली स्वीकृति : सीएचसी के लिए सहार में भवन बनकर तैयार है. पर वर्षों बीत जाने के बाद भी सरकार द्वारा इसकी स्वीकृति नहीं दी जा सकी है. इस कारण सीएचसी के लिए चिकित्सकों की संख्या तथा अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं उपलब्ध हो पा रही है. मरीजों को पुराने जर्जर भवन, चिकित्सकों की कमी, उपकरणों की कमी का दंश झेलना पड़ रहा है. इससे मरीज काफी परेशान हो रहे हैं तथा मजबूरन बड़े शहर में चिकित्सा के लिए जा रहे हैं, जिससे उन्हें काफी आर्थिक क्षति हो रही है.
नहीं रहते हैं चिकित्सक : स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक डॉ हरिश्चंद चौधरी प्राय: गायब ही रहते हैं. केवल मंगलवार को दो से तीन घंटे के लिए केंद्र पर आते हैं. इस कारण अन्य चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा भी अपने कार्य में लापरवाही बरती जा रही है तथा मरीजों को आवश्यकता के अनुसार सुविधा नहीं दी जा रही है. एक्सरे मशीन तथा जेनेरेटर केंद्र पर उपलब्ध है, पर यह प्राय: बंद ही रहते हैं. विशेष परिस्थितियों में इसका संचालन हो पाता है. गरीबों के लिए तो यह बिल्कुल नहीं खुलता है.
क्या कहते हैं प्रभारी सीएस
अब तक इस केंद्र को सीएचसी के लिए सरकार द्वारा स्वीकृति नहीं मिल पायी है. जबकि भवन बनकर तैयार है. इस स्थिति में मजबूरीवश स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी जा रही हैं. प्रभारी चिकित्सक तथा अन्य चिकित्सक प्रतिदिन नहीं आते हैं. यह संज्ञान में नहीं था. संज्ञान में आने के बाद इसकी जांच की जायेगी तथा नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी.