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डीयू के सिलेबस में शामिल की गयी चेतन भगत की किताबें, विवाद

नयी दिल्ली : चर्चित लेखक और अपने उपन्यासों के कारण प्रसिद्ध चेतन भगत की किताबें दिल्ली विश्वविद्यालय के सिलेबस में शामिल की गयी है. इस बात पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए चेतन भगत ने 23 तारीख को ट्‌वीटर पर लिखा- मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं. दिल्ली विश्वविद्यालय ने मेरी किताबों को पाठ्‌यक्रम में […]

नयी दिल्ली : चर्चित लेखक और अपने उपन्यासों के कारण प्रसिद्ध चेतन भगत की किताबें दिल्ली विश्वविद्यालय के सिलेबस में शामिल की गयी है. इस बात पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए चेतन भगत ने 23 तारीख को ट्‌वीटर पर लिखा- मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं. दिल्ली विश्वविद्यालय ने मेरी किताबों को पाठ्‌यक्रम में शामिल किया है. साहित्य में खुले विचारों का स्वागत होता है, क्लासिक के साथ समकालीन साहित्य को भी पढ़ा जाना चाहिए.

लेकिन चेतन की किताबों को डीयू के सिलेबस में शामिल किये जाने के बाद कई लोगों ने आपत्ति जतायी है. राजदीप सरदेसाई ने ट्‌वीट कर आपत्ति जतायी है और लिखा- एक खबर जिसने मेरा ध्यान खींचा-अमिताभ घोष और टैगोर की जगह दिल्ली यूनिवर्सिटी के सिलेबस में शामिल किये गये चेतन भगत और जेके राउलिंग. इस ट्‌वीट पर रिट्‌वीट करते हुए चेतन ने लिखा- मेरी और जेकेआर की किताबें पापुलर फिक्शन कोर्स में शामिल की गयीं हैं. आपने जिनका नाम लिया वे क्लासिक कोर्स का हिस्सा हैं उन्हें रिप्लेस नहीं किया गया.

चेतन ने लिखा अभिजात्य वर्ग को समझना मुश्किल है. वे नकली सफेद हैं. वे मेरी किताबों को डीयू के सिलेबस में शामिल किये जाने से नाराज हैं. मेरी सहानुभूति उनके साथ है. चेतन ने लिखा- मेरे विचार से अच्छा साहित्य वो है जो लोगों को छूए, चाहे वो पहले लिखा गया हो या वर्तमान में. यह ऐसा कुछ नहीं है, जिसका निर्णय अभिजात्य वर्ग करेगा. मैंने एक किताब लिखी, जिसपर कई लोगों ने कहा इसने साहित्यिक परिदृश्य को बदल दिया, लेकिन अभिजात्य वर्ग को परेशानी है और उन्होंने इसे सांप्रदायिक बता दिया.

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