पटना / दरभंगा : छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में हर बार की तरह इस बार भी बिहार के कई वीर सपूतों ने अपना बलिदान दिया है. नक्सली हमले में बिहार के छह जवान शहीद हुए हैं. उन्हीं में से एक दरभंगा के जवान नरेश यादव इसी साल जनवरी में अपने घर छुट्टी बिताने आये थे. नरेश यादव सीआरपीएफ में हेड कांस्टेबल के पद पर 74वीं बटालियन में तैनात थे. नरेश ने हाल में दरभंगा जिले के अपने पैतृक गांव अहिला में पक्के मकाना बनवाना शुरू किया था. परिजनों का कहना था कि नरेश अपने बड़े बेटे के अच्छे कॉलेज में नामांकन को लेकर बातचीत कर वापस गये थे. नरेश का बड़ा बेटा दसवीं में पढ़ता है, जबकि छोटा बेटा पांचवी में पढ़ता है. नरेश की पत्नी ने मीडिया को बताया कि उन्होंने दोबारा गांव आने और अधूरे मकान को पूरा करवाने का वादा किया था, लेकिन सोमवार को हुए नक्सली हमले में नरेश शहीद हो गये.
गांव में मातमी सन्नाटा
परिजनों के अलावा नरेश के गांव के लोग भी केंद्र सरकार पर खासे नाराज हैं और सबके मन में सवाल है कि आखिर कब तक नक्सलियों के निशाने पर देश के जवान रहेंगे. कब तक वह अपनी प्राणों की आहूति देते रहेंगे. ग्रामीणों के साथ परिजनों का भी कहना है कि सरकार उन पर कठोर कार्रवाई करे और उनका मुंहतोड़ जवाब दे. नरेश 1994 में सीआरपीएफ में बहाल हुए थे. नरेश अपने पीछे बुजुर्ग मां-बाप और बीबी के साथ तीन बच्चे छोड़ गये हैं. नरेश अपने मां-बाप के इकलौते बेटे थे और परिवार में अकेले कमाने वाले थे. नरेश के शहीद होने की खबर के बाद से पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा है.
रोहतास जिले में शोक की लहर
वहीं दूसरी ओर रोहतास जिले के भरनदुआ गांव के केके पांडेय भी सुकमा नक्सली हमले में शहीद हो गये हैं. इसी साल अपने गांव में दोस्तों के साथ होली मनाकर लौटे केके पांडेय अब दोबारा नहीं लौटेंगे. नक्सली हमले में शहीद होने की खबर मिलने के बाद पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गयी है. केके पांडेय मई में अपने घर छुट्टी पर आने वाले थे. स्थानीय लोगों के मुताबिक पांच मई को उनकी भतीजी की शादी है.
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