पटना : बिना जांच बन रही सड़कों पर सरकार सख्त है. अब राज्य में गुणवत्तापूर्ण सड़क को लेकर उसके निर्माण के दौरान ही हर स्तर पर जांच होगी. अभी टेस्टिंग लैब की लचर व्यवस्था के कारण सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाले मैटेरियल की जांच सही तरीके से नहीं हो रही है. सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाले मैटेरियल की जांच कांट्रैक्टर के भरोसे ही छोड़ दिया जाता है. जबकि, कांट्रैक्टर के लैब में पथ निर्माण विभाग के इंजीनियर ही मैटेरियल की जांच करते हैं. लेकिन, जांच की प्रक्रिया कितनी सही होगी यह समझने की बात है.
सड़क निर्माण में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने के लिए मुख्यमंत्री निर्देश दे चुके हैं. गुणवत्ता के मामले में किसी तरह का समझौता नहीं करने का इंजीनियरों को कहा गया है. ऐसे में पथ निर्माण विभाग ने सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता पर ध्यान देने के लिए हर स्तर पर टेस्टिंग कराने का निर्णय लिया है.
इसके लिए विभाग के प्रमंडलों में स्थापित लैब को डेवलप किया जायेगा. विभाग के अंचलों में नये लैब स्थापित होंगे. लैब टेक्निशियन की कमी दूर करने के लिए उसकी बहाली होगी. पथ निर्माण विभाग जिला सड़क व स्टेट हाइ-वे सड़क को विस्तार करने का फेजवाइज काम कर रहा है. इसमें सिंगल लेन व इंटरमीडिएट लेन जिला सड़क चौड़ी की जायेगी. सभी स्टेट हाइ-वे को टू लेन बनाया जायेगा.
विभाग के 49 प्रमंडलों में स्थापित लैब डेवलप किये जायेंगे. टेस्टिंग कर्मचारियों की कमी के कारण विभिन्न प्रमंडलों में लैब काम नहीं कर रहा है. उन प्रमंडलों में सड़क निर्माण का काम होने पर कांट्रैक्टर द्वारा स्थापित लैब में मैटेरियल की जांच होती है. जानकारों का कहना है कि कांट्रैक्टर के लैब में होनेवाले मैटेरियल की जांच कितनी सही होगी, इसका अनुमान लगाया जा सकता है. उत्तर बिहार में 26 व दक्षिण बिहार में 23 लैब हैं.
कर्मचारियों की होगी बहाली : टेस्टिंग लैब में कर्मचारियों की कमी दूर करने के लिए बहाली होेगी. टेस्टिंग लैब में 150 कर्मचारियों में 70 फीसदी कर्मचारियों के पद खाली हैं. आठ से नौ माह में बहाली प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी.