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करोड़ों लेकर माफिया फरार

फर्जीवाड़ा. शिक्षा विभाग ने डाला धांधली पर परदा विभाग का कार्य भी निराला है. विभाग में फाइलों को दबा देने के कारण दो सौ से अधिक युवक खुद को कंप्यूटर शिक्षक बता कर चक्कर लगा रहे हैं. गोपालगंज : सुनिधि तिवारी बरहिमा की रहनेवाली हैं. इन्होंने स्नातक के बाद कंप्यूटर की ट्रेनिंग ली. इस बीच […]

फर्जीवाड़ा. शिक्षा विभाग ने डाला धांधली पर परदा

विभाग का कार्य भी निराला है. विभाग में फाइलों को दबा देने के कारण दो सौ से अधिक युवक खुद को कंप्यूटर शिक्षक बता कर चक्कर लगा रहे हैं.
गोपालगंज : सुनिधि तिवारी बरहिमा की रहनेवाली हैं. इन्होंने स्नातक के बाद कंप्यूटर की ट्रेनिंग ली. इस बीच एक लाख रुपये में कंप्यूटर शिक्षक का ऑफर मिला. उसे लगा की अब शिक्षक बनने का सपना पूरा हो जायेगा. उसने परिजनों से जीद की. परिजनों ने कहीं से उसे एक लाख रुपये दे दिया. सिस्टम टेक कंपनी के जिला प्रबंधक मनीष चौबे को उसने रुपये दे दिया. उसकी नियुक्ति कंप्यूटर शिक्षक में हो गयी. 10 माह के बाद शिक्षा विभाग ने इन लोगों को स्कूल में जाने पर रोक लगा दी. अब सुनिधि तिवारी को न तो वेतन मिला और नहीं नौकरी. पिछले डेढ़ वर्षों से सुनिधि इस उम्मीद में थी कि उसे नौकरी मिल जायेगी.
यह अकेले सुनिधि ही नहीं बल्कि दो सौ से अधिक युवकों के साथ यही हुआ है. स्कूल से हटाये जाने के बाद इन शिक्षकों को सिस्टम टेक के प्रबंधक मनीष चौबे विभाग को दोषी बताते हुए धरना, प्रदर्शन कर विभाग पर दवाव बनाने की सलाह देकर भूमिगत हो गया. इनका रुपया भी डूब भी गया. मनीष चौबे करोड़ों रुपये हजम कर गया. अब ये कंप्यूटर शिक्षक विभाग का चक्कर लगा रहे हैं. कभी डीइओ तो कभी डीपीओ को इनके प्रश्नों से गुजरना पड़ रहा है.
फाइलों में दफन हो गयी िवभाग की कार्रवाई
क्या है पूरा मसला : शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव के द्वारा प्रत्येक मध्य विद्यालय में बच्चों को नि:शुल्क कंप्यूटर की शिक्षा देने के लिए सिस्टम टेक कंपनी को कहा गया. पत्र के आलोक में तत्कालीन डीइओ सुरेश कुमार ने 13 मार्च, 2014 से सभी बीइओ को आदेश दिया कि सिस्टम टेक कंपनी के कंप्यूटर शिक्षक कंपनी के वेतन पर बच्चों को शिक्षा देंगे. इसी आदेश के बाद कंप्यूटर शिक्षक बनाने के लिए जिला प्रबंधक मनीष कुमार ने दो सौ शिक्षकों से 50 हजार से एक लाख तक रुपये लेकर बहाल कर दिया गया.
दो सौ शिक्षकों को विभाग ने दिया अवैध करार : फर्जीवाड़े पर तैनात कंप्यूटर शिक्षक के पद पर तैनात शिक्षकों का भंड़ाफोड़ तत्कालीन डीपीओ राजकिशेर सिंह ने किया. कटेया के एक स्कूल में जांच के दौरान कंप्यूटर शिक्षकों कार्यरत देखा गया. जब इसकी जांच करायी गयी, तो तत्कालीन डीइओ ने भी अपना हस्ताक्षर फर्जी बताया. डीपीओ ने तत्काल प्रभाव से स्कूल में शिक्षकों के प्रवेश पर रोक लगा दी.
265 युवक अब भी काट रहे चक्कर
महीनों तक काम करनेवाले कंप्यूटर शिक्षकों को बता कर दूसरी किस्त में तीन सौ से अधिक कंप्यूटर शिक्षकों को बहाल करने की तैयारी कर ली गयी. इसमें 265 लोगों से रुपये ले लिये गये. उसके बाद उनका योगदान भी नहीं हो पाया.
डीइओ ने की थी टेस्ट परीक्षा की जांच : कंप्यूटर शिक्षक के पद पर चयन के लिए सिस्टम टेक कंपनी ने डीइओ को मैनेज कर डीएवी स्कूल में चयन के लिए टेस्ट परीक्षा ली, जिसका निरीक्षण करने के लिए खुद डीइओ गये थे. युवकों को लगा कि विभागीय परीक्षा हो रही है .
क्या कहते हैं अधिकारी
कंप्यूटर शिक्षक पद पर कोई नियोजन नहीं हुआ है. किस कंपनी क्या किया इसकी जानकारी नहीं है. पर्जीवाड़ा उजागर हुआ तो कार्रवाई करनी चाहिए थी. लिखित शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जायेगी.
संजय कुमार, डीपीओ, गोपालगंज

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