अभी प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी और दुबारा नामांकन चार्ज को लेकर काफी हो-हंगामा हो रहा है. इस तसवीर का दूसरा पहलु यह हैं कि अगर सरकारी स्कूलों की स्थिति अच्छी होती और उनकी पढ़ाई का स्तर ऊंचा होता, तो प्राइवेट स्कूलों का इतना विरोध करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती.
प्राइवेट स्कूल सरकारी स्कूलों की वस्तुस्थिति से भली-भांति अवगत हैं और इसका फायदा उठाना भी वे अच्छी तरह जानते हैं. अगर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी की समस्या की जड़ में जाये तो, यह साफ हैं कि सरकारी स्कूलों की दुर्दशा इसकी वजह है. इसलिए सिर्फ विरोध करने की बजाय विकल्प भी उपलब्ध कराना ज्यादा कारगर होगा. इसके लिए सरकार को आगे आना होगा.
सीमा साही, बोकारो