लंदन : ब्रिटेन के प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने कहा है कि बातें करते समय आंखें नहीं मिलाने पर भी नस्लवाद का दोषी माना जा सकता है. समाचार पत्र ‘द टेलीग्राफ’ के अनुसार विश्वविद्यालय की ‘समता एवं विविधता इकाई’ ने स्नातक के विद्यार्थियों को सलाह दी है कि लोगों से सीधे तौर पर बात नहीं करना भी नस्ली व्यवहार के तौर पर देखा जा सकता है.
उसने संस्थान के एक न्यूजलेटर में यह भी कहा कि किसी के मतभेदों को लेकर मजाक बनाना और लोगों से सीधे तौर पर बात नहीं करना भी रोजमर्रा के नस्लवाद के श्रेणी में आ सकता है. बहरहाल, कुछ आलोचकों ने न्यूजलेटर की आलोचना करते हुए कहा है कि यह छात्रों को अति संवेदनशील बना देगा.
यूनिवर्सिटी ऑफ केंट में व्याख्याता डॉक्टर जोआना विलियम्स ने कहा कि यह परामर्श पूरी तरह बकवास है और इससे विद्यार्थी बहुत अधिक संवेदनशील हो जाएंगे कि वे किसी के साथ बात कैसे करें. पिछले साल ऑक्सफोर्ड के कानून के छात्रों से कहा गया था कि वे हिंसा संबंधी मामलों को कवर करने वाली कक्षाओं से दूरी बना सकते हैं अगर उनको डर है कि इसकी बातें उनको परेशान कर सकती हैं.