बेटी को नौवीं कक्षा में दाखिल करना था, लेकिन छोटी जाति का कारण दिखा कर दाखिला लेने से इनकार कर दिया गया. बताया जा रहा है कि वर्ष 2011-12 में इसी स्कूल से छात्रा ने आठवीं कक्षा पास की थी, लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उसने आगे की पढ़ाई छोड़ दी.
पढ़ाई की इच्छा फिर से होने पर उसने पिता से गुहार लगायी. पिता उसी स्कूल में पहुंचे, जिस स्कूल से उसने आठवीं पास की थी लेकिन आरोप है कि उसे छोटी जाति का कारण दिखा कर दाखिला नहीं लिया गया. स्कूल की प्रधानाध्यापिका स्वाती दे ने कहा कि यह आरोप पूरी तरह गलत व बेबुनियाद है. उन्होंने कहा कि वह तीन-चार वर्षों से स्कूल नहीं आ रही है. स्कूल एक नियम के तहत चलता है. उसके पिता को सिर्फ नियम की जानकारी दी गयी है.