कोलकाता: स्वाइन फ्लू ने राज्य में फिर दस्तक दे दी है. शहर के कई बड़े निजी व सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज चल रहा है. शनिवार को भी दो नये मामले सामने आये. दो बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ गये हैं. हाल में 14 लोग स्वाइन फ्लू की चपेट में आये हैं. इएम बाइपास स्थित दो निजी अस्पतालों में दस मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि बेलियाघाटा आइडी अस्पताल और पार्क सर्कस के इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ में भी कुछ रोगी भरती हैं.
चिकित्सकों का मानना है कि मौसम में परिवर्तन व अत्यधिक गरमी के कारण स्वाइन फ्लू के मामले देखे जा रहे हैं. राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक प्रो डॉ विश्व रंजन सत्पथी ने बताया कि इस साल जनवरी से 21 अप्रैल तक 262 लोगों का स्वाइन फ्लू (एन1एच1) संक्रमण की जांच की गयी है. इनमें 29 लोगों में एन1एच1 पॉजेटिव पाया गया.
इलाज के लिए तैयार हैं मेडिकल कॉलेज अस्पताल
राज्य में स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए शनिवार को स्वास्थ्य भवन में एक उच्चस्तरीय बैठ हुई. हालात से निपटने के मुद्दे पर चर्चा हुई. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अनुसार फिलहाल स्थिति चिंताजनक नहीं है. समुचित इलाज के लिए सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को तैयार रखा गया है.
स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए किट उपलब्ध: डॉ सत्पथी ने बताया कि स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए सरकार के पास किट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. इसलिए इस बीमारी से घबड़ाने की जरूरत नहीं. उन्होंने बताया कि गरमी पड़ने के कारण स्वाइन फ्लू के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
स्वाइन फ्लू के लक्षण
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉलरा एंड एटरिक डिजीजेज के प्रिंसिपल प्रो डॉ उछल कुमार भद्र ने बताया कि जलवायु में परिवर्तन के कारण अब साल भर लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. तेज बुखार, खांसी के साथ मुंह से खून निकलना, सीने में दर्द, सांस लेने में परेशानी, सीने पर दबाव महसूस करना आदि इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं.
क्या है बचाव
विशेषज्ञों का मानना है कि स्वाइन फ्लू से बचने के लिए खान-पान का ख्याल रखना बेहद जरूरी है. नियमित रूप से हाथ धोयें. साबुन से हाथ धोना बेहतर है. संक्रमित व्यक्ति को भीड़भाड़ में जाने से बचना चाहिए. इससे बीमारी के फैलने का खतरा रहता है. बच्चों, बुजर्गों के रोग से संक्रमित होने का ज्यादा खतरा होता है. इनका टीकाकरण होना चाहिए.