गुवाहाटी : भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की बातें जोर-शोर से हो रही हैं. इसके लिए केंद्र के साथ-साथ राज्यों की सरकारें भी पहल कर रही हैं. विकास के तमाम दावे हो रहे हैं. इन सबके बावजूद बीच-बीच में देश के विभिन्न प्रांतों से ऐसी तसवीरें सामने आती रहती हैं, जो मानवता को शर्मसार करती हैं. सरकार के दावों को तार-तार करती हैं.
ऐसी ही एक तसवीर असम के लखीमपुर जिले से आयी है. जिले के बालिजान गांव के एक युवक को अपने 18 साल के भाई का शव साइकिल पर बांध कर ले जाना पड़ा, क्योंकि उसके घर तक कोई गाड़ी नहीं जाती. चूंकि इलाके की सड़कें बदहाल हैं, कोई गाड़ीवाला उसके घर तक जाने के लिए तैयार नहीं हुआ. मजबूरन युवक को भाई के शव को साइकिल के कैरियर और रॉड के सहारे बांधकर ले जाना पड़ा.
पत्नी के शव को कांधे पर लेकर 10 किमी तक चला पति
जिस क्षेत्र का यह मामला है, वह असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवालके विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. उधर, इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्टमेंकहा गया है कि असम के स्थानीय चैनलोंपर मंगलवार को यह रिपोर्ट दिखायी गयी, तो मुख्यमंत्री ने मामले की जांच के आदेश दे दिये.
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य सेवा के निदेशक को माजुली जाकर पूरे घटनाक्रम की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है.
मुख्यमंत्रीने जांच के आदेश दिये, तो अधिकारियों ने बताया कि मृतक लखीमपुर जिले के बालिजान गांव का रहने वाला है. उसके गांव से अस्पताल की दूरी आठ किलोमीटर है. अधिकारियों ने कहा कि मृतक के भाई ने अस्पताल के ड्राइवर का इंतजार नहीं किया और लाश का साइकिल पर बांध कर ले गया.
माजुली के डिप्टी कमिश्नर पीजी झा ने कहा कि लखीमपुर जिले के रहनेवाले इस परिवार ने मरीज को गारामूर सिविल अस्पताल ले जाने का फैसला किया, जो उनके गांव के करीब पड़ता है. उनके गांव जानेके लिए कोई सड़क मार्ग नहीं है. उन्हें सड़क तक जाने के लिए बांससे बनी पुलिया पार करनी पड़ती है.
सफाई देने में जुटे अधिकारी
डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि सोमवार को करीब 3:30 बजे छह लोग मरीज डिंपल दास को लेकर माजुली द्वीप मुख्यालय स्थित अस्पताल पहुंचे थे. डॉक्टर जांच कर ही रहे थे कि उसकी मौत हो गयी. उन्होंने कहा, ‘वे लोग मरीज को साइकिल पर लेकर आये थे. सांस लेने में तकलीफ के कारण उसकी मौत हुई. अस्पताल में शव वाहन होने के बावजूद वे शव को साइकिल से बांध कर ले गये.’
वहीं, सिविल अस्पताल के सुपरिटेंडेंट मानिक मिली ने कहा कि मरीज को सांस से जुड़ी गंभीर समस्या थी. उसे गंभीर हालत में यहां लाया गया था. जैसे ही मरीज को ऑक्सीजन देने की कोशिश की गयी, उसने दम तोड़ दिया. डॉक्टरों ने शव को वाहन से भेजने की व्यवस्था की, लेकिन इससे पहले कि ड्राइवर आता, मरीज के परिजन उसका शव लेकर जा चुके थे.
आठ महीने पहले ओड़िशा से आयी थी दिल दहला देनेवाली तसवीर
ज्ञात हो कि इस तरह का यह पहला मामला नहीं है. पिछले साल ही ओड़िशा के दाना मांझी को अपनी पत्नी का शव 12 किलोमीटर तक कंधे पर ढोकर ले जाना पड़ा था, क्योंकि अस्पताल ने पैसे न देने पर एंबुलेंस उपलब्ध कराने से मना कर दिया था.