बीजिंग : चीन ने दलाई लामा की हालिया अरुणाचल प्रदेश यात्रा के कारण भारत चीन संबंधों पर ‘नकारात्मक असर’ पड़ने की बात कही और साथ ही पुरजोर शब्दों में कहा कि भारत को तिब्बती अध्यात्मिक नेता का इस्तेमाल बीजिंग के हितों को ‘कमजोर’ करने के लिए नहीं करना चाहिए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, ‘कुछ कारणों से विगत में, जिन्हें हम सभी जानते हैं कि चीन और भारत संबंधों की राजनीतिक नींव को कमजोर किया गया.’
उन्होंने दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश यात्रा का जिक्र करते हुए यह बात कही जिस पर चीन का दावा है कि यह ‘दक्षिणी तिब्बत’ का हिस्सा है. 81 वर्षीय तिब्बती अध्यात्मिक नेता की राज्य की यात्रा के संबंध में भारत के स्पष्टीकरण के संबंध में किये गये सवाल पर अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि इसका ‘द्विपक्षीय संबंधों और सीमा के सवाल संबंधी सुलह समझौतों पर नकारात्मक असर पड़ा है.’
शुक्रवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि तिब्बत के चीन का हिस्सा होने के संबंध में नयी दिल्ली की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है और वह बरसों से लंबित सीमा मुद्दे का आपसी रूप से स्वीकार्य, तार्किक और न्यायोचित समाधान की तलाश जारी रखेगा. लू ने कहा, ‘हम भारतीय पक्ष से अपील करते हैं कि वह तिब्बत संबंधी मुद्दों पर अपनी प्रतिबद्धता का पालन करे.’
उन्होंने कहा कि केवल यही एक रास्ता है जिसके जरिए ‘हम सीमा के सवाल को सुलझाने के लिए अच्छा माहौल तैयार कर सकते हैं.’ चार अप्रैल से दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा शुरू होने पर चीन ने भारत के समक्ष राजनयिक विरोध जताया था. दलाई लामा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के समीप त्वांग क्षेत्र के दौरे पर भी गए थे जहां से उन्होंने 1959 में भारत में प्रवेश किया था.
चीनी विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा की आलोचना की थी और कहा था कि इससे दोनों देशों के बीच सीमा वार्ता पर असर पडेगा. चीन के सरकारी मीडिया ने भारत के खिलाफ कई लेख प्रकाशित किए थे और कुछ ने तो चीन का आह्वान किया था कि ‘इसका करारा जवाब दिया जाना चाहिए.’