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रोहतास के रुपये से झारखंड में नक्सलवाद!

हार्डकोर नक्सली अजय राजभर की होगी कैमूर पहाड़ी पर वापसी टीम का हो रहा चयन, झारखंड से आयेगा जिले में नक्सलियों का दस्ता सासाराम नगर : रोहतास जिले से मिली लेवी के रुपये से पड़ोसी राज्य झारखंड में नक्सल गतिविधियां चल रही हैं. 80 के दशक से ही यही होता आ रहा है. जानकार बताते […]

हार्डकोर नक्सली अजय राजभर की होगी कैमूर पहाड़ी पर वापसी
टीम का हो रहा चयन, झारखंड से आयेगा जिले में नक्सलियों का दस्ता
सासाराम नगर : रोहतास जिले से मिली लेवी के रुपये से पड़ोसी राज्य झारखंड में नक्सल गतिविधियां चल रही हैं. 80 के दशक से ही यही होता आ रहा है. जानकार बताते हैं कि नक्सलियों ने जिले में प्रति वर्ष एक करोड़ रुपये की लेवी वसूलने का लक्ष्य रखा है. यहां से मिली लेवी का आधा पैसा झारखंड चला जाता है. आधा पैसे से यहां नक्सली अपना काम चलाते हैं. इसको लेकर झारखंड व स्थानीय नक्सलियों के बीच कई बार विरोध का स्वर उठा था, जिसे बड़े नक्सलियों द्वारा दबा दिया जाता था. नक्सली कमांडर अनिल कुशवाहा उर्फ संदेश की गिरफ्तारी के बाद कैमूर पहाड़ी पर नक्सलियों का पुराना ग्रुप एमसीसी अब सर उठाने लगा है. इससे चिंतित टीपीसी (तृतीय प्रस्तुत कमेटी) नयी रणनीति के साथ कैमूर पहाड़ी पर बहुत जल्द अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, टीपीसी के हार्डकोर नक्सली अजय राजभर को रोहतास व कैमूर का पुन: प्रभार मिला है. अजय राजभर झारखंड से 20 नक्सलियों का दस्ता लेकर आ रहा है. इससे पहले की नक्सलियों का पुराना ग्रुप कैमूर पहाड़ी पर अपना कब्जा जमा ले टीपीसी स्थापित हो जाना चाहता है.
पैसे को लेकर मतभेद
जिले में झारखंड से नक्सलवाद का बीजारोपण हुआ था. अविभाजित बिहार के दौर में तत्कालीन हार्डकोर नक्सली कामेश्वर बैठा के नेतृत्व में कैमूर पहाड़ी पर नक्सल संगठन का विस्तार हुआ था. उस दौर में भी करीब 20 लाख प्रति वर्ष लेवी वसूला जाता था. उस समय भी आधा पैसा झारखंड चला जाता था. जिसका विरोध नक्सली कमांडर निराला यादव करता था. स्थानीय नक्सलियों का तर्क था सब कुछ हमलोग कर रहे हैं, तो लेवी के पैसे पर पूरा हक हम लोगों का बनता है. जबकि, 20 मार्च को गिरफ्तार अनिल कुशवाहा उर्फ संदेश ने बातचीत के दौरान कहा कि बिहार में नक्सलवाद का संचालन झारखंड से होता है.
संगठन में मारक दस्ता झारखंड से ही भेजा जाता है. हथियार, कारतूस व विस्फोटक आदि सामग्री की आपूर्ति झारखंड से ही होती है. इसलिए जिले में प्राप्त लेवी के आधा पैसे पर उनका दावा बनता है. मैं व अजय राजभर कैमूर पहाड़ी पर टीपीसी संगठन का विस्तार किये थे. अजय झारखंड के गढ़वा का रहनेवाला है. इसके साथ ही माखुन पासी व बब्लू कुशवाहा भी झारखंड के हैं. संगठन में हथियार व कारतूस भी झारखंड से भेजा जाता है. रोहतास व कैमूर का प्रभार सौंप अजय राजभर चतरा चला गया. जो भी लेवी का पैसा मिलता था, उसका आधा पैसा झारखंड से दस्ता आ कर ले जाता था. इसी पैसे से झारखंड के गढ़वा, डालटेनगंज, हरिहरगंज, छतरपुर आदि जगहों पर नक्सल गतिविधि का संचालन होता है.

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