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बनालात क्षेत्र में 15 वर्षों से सक्रिय हैं नक्सली

बिशुनपुर : बिशुनपुर प्रखंड के बनालात क्षेत्र में भाकपा माओवादी के नक्सली गत 15 सालों से सक्रिय हैं. इस क्षेत्र में कई बड़ी घटनाओं को नक्सली अंजाम दे चुके हैं. नकुल यादव व मदन यादव की जोड़ी ने पुलिस को भी नाक में दम कर दिया था. पुलिस जब भी क्षेत्र में घुसती थी, पूरी […]

बिशुनपुर : बिशुनपुर प्रखंड के बनालात क्षेत्र में भाकपा माओवादी के नक्सली गत 15 सालों से सक्रिय हैं. इस क्षेत्र में कई बड़ी घटनाओं को नक्सली अंजाम दे चुके हैं.

नकुल यादव व मदन यादव की जोड़ी ने पुलिस को भी नाक में दम कर दिया था. पुलिस जब भी क्षेत्र में घुसती थी, पूरी तैयारी के साथ जाती थी. नकुल व मदन के सरेंडर के बाद पुलिस को थोड़ी राहत मिली है. साथ ही इस क्षेत्र में 218 करोड़ रुपये से संचालित बनालात एक्शन प्लान के भी अब पूरा होने की उम्मीद जगी है. नक्सल इलाका होने के कारण अभी सरकार के निर्देश पर 13 फोकस एरिया डेवलपमेंट प्लान के तहत भी इस क्षेत्र में विकास के काम हो रहे हैं.

पुलिस ने हमें काफी प्रताड़ित किया था

मदन के पैतृक गांव रेहलदाग स्थित घर में आम दिनों की तरह सब कुछ सामान्य था. मदन के सरेंडर को लेकर कोई चिंता नहीं थी. मदन के भाई संजय यादव ने कहा कि भाई नक्सली था. सरेंडर किया है या नहीं, हम कुछ नहीं जानते हैं. हमलोग इसकी जानकारी रखना भी नहीं चाहते. हमलोग अपनी जिंदगी गांव में खेती कर व महुआ चुन कर बिताते हैं.

इससे हमलोगों को खुशी मिलती है. भाई नक्सली था, तब भी हमें कोई मतलब नहीं थी. सरेंडर कर दिया, तब भी उनसे कोई लेना देना नहीं है. वही संजय ने मायूसी के साथ इतना जरूर बताया कि जब भाई नक्सली था, तो घर में कुर्की-जब्ती करने पुलिस आयी थी. पुलिस हमारे घर को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त करते हुए धान, चावल व बरतन से लेकर हर सामान ले गयी थी. घर के लोगों ने भरी बरसात में भींग-भींग कर एक साल बिताया है.

आतंक का पर्याय थे नकुल व मदन

आतंक का पर्याय था नकुल व मदन. उनके आतंक से इलाका थर्राया था. जहां बड़े-बड़े ठेकेदार इनके एक इशारे पर चढ़ावा लेकर पहुंच जाते थे, वहीं बड़ी कंपनियां भी इस इलाके में काम करने के लिए इन नक्सलियों के बगैर आदेश के एक ईंट भी नहीं लगाती थी. पुलिस के लिए यह दोनों नक्सली सिरदर्द बन चुके थे.

15 वर्षों से पुलिस इन्हें मारने या फिर जिंदा पकड़ने का अभियान चलाती रही, लेकिन पुलिस को सफलता नहीं मिली. अंत में पुलिस ने इन नक्सलियों को सरेंडर करने के लिए प्रेरित किया. इन नक्सलियों ने कई ब्लास्ट कर दर्जनों पुलिसकर्मियों को मौत के मुंह सुला दिया था, तो कई बड़े ठेकेदार को मौत के घाट उतार दिया गया था. इस इलाके में नकुल व मदन की बात जो नहीं मानता था, उसे या तो फिर इलाका छोड़ना पड़ता था या फिर दुनिया.

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