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27 वर्ष के बाद भी नहीं हो पाया एक भी गांव का सर्वे

700 गांव के रैयत खतियान के लिए हैं परेशान हजारीबाग : हजारीबाग प्रमंडलीय बंदोबस्त कार्यालय की स्थापना 1995 में हुई. इस कार्यालय के अधीन चतरा, कोडरमा, हजारीबाग, बोकारो, रामगढ़ एवं गिरिडीह जिला शामिल है. सरकार के निर्देशानुसार इन जिलों के सात हजार से अधिक गांवों में हर 10 वर्ष में सर्वे कार्य कर रैयतों के […]

700 गांव के रैयत खतियान के लिए हैं परेशान
हजारीबाग : हजारीबाग प्रमंडलीय बंदोबस्त कार्यालय की स्थापना 1995 में हुई. इस कार्यालय के अधीन चतरा, कोडरमा, हजारीबाग, बोकारो, रामगढ़ एवं गिरिडीह जिला शामिल है. सरकार के निर्देशानुसार इन जिलों के सात हजार से अधिक गांवों में हर 10 वर्ष में सर्वे कार्य कर रैयतों के बीच खाता-खतियान का वितरण करना था, लेकिन बीते 27 वर्ष बाद भी रैयतों को सर्वे कार्य को पूरा नहीं किया गया और न ही ग्रामीणों को खाता-खतियान मिला. रैयत प्रतिदिन बंदोबस्त कार्यालय का चक्कर लगाने को विवश हैं.
वेतन मद में प्रतिमाह 50 लाख का खर्च: हजारीबाग प्रमंडलीय बंदोबस्त कार्यालय में सरकारी एवं गैर सरकारी कर्मियों के मासिक वेतन मद में प्रतिमाह 50 लाख रुपये का खर्च हो रहा है. इनमें सरकारी पदाधिकारियों के अलावा कुछ दैनिक भोगी अमीन, मुनसरिन एवं परिमाप निरिक्षक सह-इंस्पेक्टर शामिल हैं. लोगों की मानें, तो सरकारी सुविधा के बाद भी रैयतों के हित में कोई कार्य नहीं हो रहा है.
एक कर्मी की पोस्टिंग कई जगहों पर: प्रमंडलीय बंदोबस्त कार्यालय में सरकार की ओर से निजी तौर पर कुछ दैनिक भोगी अमीन के आलावा मुनसरिन एवं परिमाप निरीक्षक सह-इंस्पेक्टर को रखा गया है.
इनमें कुछ कर्मियों को एक साथ दर्जनों जगहों पर पोस्टिंग दी गयी है. वहीं सभी को लाभ पहुंचाया जा रहा है. कई दैनिक भोगी कर्मियों को नियम विरुद्ध सर्वे कार्य करने पर काली सूची में रखा गया था, लेकिन उन्हें फिर से काम पर रख कर सरकारी नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. वहीं कई सरकारीकर्मी स्थानांतरण के बाद भी कार्यालय में वर्षों से जमे हैं.
आलीशान ऑफिस का निर्माण: रैयतों के हित को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार की ओर से इसी वर्ष करोड़ों रुपये की लागत से एनएच-33 डीवीसी चौक के पास अeलीशान चार मंजिला प्रमंडलीय बंदोबस्त कार्यालय ऑफिस का निर्माण कराया गया. अॉफिस आधुनिक सुविधाओं से लैस है.

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