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11 विभागाध्यक्षों के पद खाली देख ठोका माथा

धनबाद : एमसीआइ की टीम में बीएचयू के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ बीके दास, कोलकाता मेडिकल कॉलेज के फाॅर्माकोलॉजी के एचओडी डॉ एस पाल व पटना मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी के प्रोफेसर डॉ एमपी सुधांशु शामिल थे. टीम को पीएमसीएच प्रबंधन ने बताया कि डॉक्टरों की बहाली की प्रक्रिया जारी है. संबंधित कागजात भी दिखाये. […]

धनबाद : एमसीआइ की टीम में बीएचयू के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ बीके दास, कोलकाता मेडिकल कॉलेज के फाॅर्माकोलॉजी के एचओडी डॉ एस पाल व पटना मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी के प्रोफेसर डॉ एमपी सुधांशु शामिल थे. टीम को पीएमसीएच प्रबंधन ने बताया कि डॉक्टरों की बहाली की प्रक्रिया जारी है. संबंधित कागजात भी दिखाये. इधर, डॉ दास व डॉ सुधांशु ने कॉलेज व अस्पताल के तमाम वार्डों का निरीक्षण किया. इससे पहले टीम के सदस्य सुबह 9.30 बजे ही पीएमसीएच पहुंच गये थे.

सूचना मिलने पर अस्पताल में हड़कंप मच गया. चिकित्सक व पदाधिकारी भागे-भागे पीएमसीएच पहुंचे. एक सदस्य ने गोविंदपुर स्थित पीएमसीएच के अधीन चलने वाले स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया. देर शाम तक टीम के सदस्य कॉलेज में कागजात एकत्र करने में लगे रहे. निरीक्षण के दौरान प्राचार्य डॉ अरुण कुमार, अधीक्षक डॉ के विश्वास, डॉ एचके सिंह, डॉ डीपी भदानी, डॉ गणेश कुमार, डॉ आशुतोष कुमार, डॉ विकास कुमार राणा आदि मौजूद थे.

शर्त के साथ वर्ष 2013 में बढ़ी थी सौ सीटें : पीएमसीएच में सीटें की संख्या 50 से 100 करने को लेकर एमसीआइ ने सशर्त मान्यता दी थी. शर्त थी कि छह माह के अंदर शिक्षकों की कमी पूरी कर लेनी है, वहीं संसाधन वर्ष भर में विकसित कर लेने हैं. इसके बाद सरकार व विभाग ने शर्त मानी, लेकिन आज तक शिक्षकों की कमी पूरी नहीं हो पायी. इसी तरह हर वर्ष सरकार एमसीआइ से वादा पर वादा करती रही और वर्ष 2014, 2015 व 2016 में सौ सीटों पर नामांकन ले लिया, लेकिन शिक्षकों की कमी पूरी नहीं हुई.
नर्स बता रही थीं 30, डॉक्टर बता रहे थे 22 बेड : वार्डों के निरीक्षण के दौरान पीएमसीएच के नर्स व चिकित्सकों की अलग-अलग आंकड़े सुन कर टीम के सदस्य परेशान हो गये. टीम के सदस्य इएनटी विभाग पहुंचे. पूछे जाने पर नर्स ने बताया कि यहां कुल 30 बेड हैं. इस पर टीम ने मेल व फीमेल बेड की अलग-अलग संख्या पूछ डाली, तो किसी के पास वास्तविक आंकड़ा नहीं होने पर एक-दूसरे से पूछने लगे. तभी एक चिकित्सक पहुंचे, उन्होंने बताया कि 12 फीमेल व 10 मेल. कुल 22 बेड बताया. इस पर नर्सों ने कुछ कहा तो डॉक्टर ने 30 पर हां में हां मिला दी.
मेडिसिन ‌विभाग में रातों-रात तैयार हुआ वार्ड : टीम के पदाधिकारी सबसे पहले इमरजेंसी पहुंची, यहां ओटी, सर्जिकल आइसीयू का निरीक्षण किया. इसके बाद आइसीयू, एचडीयू व जेनेटिक वार्ड को देखा. यहां बरामदे को रातों-रात वार्ड बनाकर 13 बेड लगा दिये गये थे. इसके बारे में टीम ने नर्स से पूछा तो वह वार्ड व बेड बताने में असमर्थ हो गयी. फिर एक चिकित्सक ने बताया कि यहां 13 वार्ड हैं. इसके बाद नेत्र रोग, स्कीन व आॅथोपेडिक्स विभाग में भी बेड को लेकर नर्स व डॉक्टरों में कंफ्यूजन बना रहा. नेत्र में 21, ऑर्थो में 58 व स्कीन में आठ बेड बताये गये. स्त्री व प्रसूति रोग विभाग में 94 बेड बताये गये. इसके बाद टीम ने रेडियोलॉजी, ओपीडी सहित अन्य विभागों की जांच की.
इतना अंधेरा, लाइट नहीं तो जेनेरेटर चलाइये : सर्जरी वार्ड में टीम के सदस्य अंदर जा रहे थे, लेकिन लाइट की कोई व्यवस्था नहीं थी. सदस्य ने कहा कि यहां इतना अंधेरा है, लाइट नहीं हो तो जेनेरेटर चलाइये. जेनेरेटर भी नहीं है क्या. यहां नर्स ने बताया कि कुल 73 वार्ड हैं, इसमें 52 मरीज इलाजरत हैं. सदस्यों ने गायनी विभाग के बाहर जहां-तहां नैपकिन देखकर नाराजगी जतायी.

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