चंडीगढ : कुलभूषण के समर्थन में सरबजीत की बहन दलबीर कौर भी सामने आयी हैं. उन्होंने सरकार को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से संपर्क करने और कुलभूषण को फांसी से बचाने की अपील करते हुए कहा कि सरकार को उचित कदम उठाना चाहिए. यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जाधव को मौत की सजा ना दी जाये.
कहा, एक मिनट के लिए यह मान भी लिया जाये कि जाधव एक एजेंट था, फिर भी उसे मौत की सजा नहीं मिलनी चाहिए. याद दिलाया कि गंभीर आपराधिक आरोपोंवाले कई पाकिस्तानी नागरिक भारतीय जेलों में बंद हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि सबके साथ इसी प्रकार का सुलूक किया हो. 2002 में लाल किले पर हमले का दोषी भी पाक नागरिक था, लेकिन क्या उसे फांसी दी गयी. प्रधानमंत्री मोदी को अपने पाकिस्तानी समकक्ष से चर्चा करनी चाहिए.
अब भारत के सामने तीन विकल्प
1. भारत का शीर्ष नेतृत्व सीधे इस मुद्दे को पाक नेतृत्व के समक्ष उठा कर कूटनीतिक दबाव बनाये. सर्जिकल स्ट्राइक से डरा पाकिस्तान इस मुद्दे पर कोई टकराव का खतरा मोल नहीं लेगा.
2. भारत कुलभूषण जाधव को पर्याप्त कानूनी मदद देकर मामले को पाकिस्तान की उच्च अदालत में भी ले जा सकता है. पाकिस्तान ने अब तक एकतरफा मुकदमा चलाया और पर्याप्त कानूनी मदद नहीं दी.
3. इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया जा सकता है. भारत के पास मजबूत तर्क है कि कुलभूषण के खिलाफ मुकदमा चलाकर सालभर में ही उसे फांसी की सजा सुना दी गयी. राजनयिकों को कुलभूषण से मिलने की इजाजत नहीं दी गयी.
देश में कड़ी प्रतिक्रिया
पाक कैदी नहीं छोड़े जायेंगे: पाक में कुलभूषण को सजा-ए-मौत के फैसले से नाराज भारत ने एक दर्जन पाकिस्तानी कैदियों की सजा पूरी होने के बाद रिहाई रोक दी, जिन्हें बुधवार को पाकिस्तान भेजना था. सरकार का मानना है कि पाक कैदियों को रिहा करने का सही समय नहीं है.
यदि कुलभूषण जाधव को फांसी दी जाती है तो भारत को पाकिस्तान के खिलाफ ‘सख्त कार्रवाई’ की तैयारी करनी चाहिए और उसे इसके बुरे अंजाम की चेतावनी देनी चाहिए. भारत को यह ‘गलत अवधारणा’ छोड़ देनी चाहिए कि देश में हिंदू -मुसलमान एकता के लिए भारत-पाकिस्तान मैत्री जरूरी है.
सुब्रहमण्यम स्वामी, भाजपा सांसद
‘पाकिस्तान की सैन्य अदालत का निर्णय दुखद और आक्रोश पैदा करने वाला है. भारत सरकार जाधव की रिहाई सुनिश्चित नहीं करवा सकी. वक्त आ गया है कि सरकार पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दे. अगर भारत में पाकिस्तान के ऐसे कैदी हैं तो उन्हें इसी तरह की सजा देने पर विचार किया जाये.’
मनीषा कायन्दे, प्रवक्ता, शिवसेना