वैशाली महोत्सव. चल सजनवा चल देख ली वैशाली घर अंगनवा… पर खूब तालियां बजीं
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आम्रपाली की रंगभूमि में गूंजी पायलों की झंकार
वैशाली महोत्सव. चल सजनवा चल देख ली वैशाली घर अंगनवा… पर खूब तालियां बजीं वैशाली : तीन दिवसीय वैशाली महोत्सव के दूसरे दिन कलाकारों द्वारा एक से बढ़ कर एक लोकगीत और लोकनृत्य की प्रस्तुति की गयी. गीत-संगीत का ऐसा समां बंधा कि लोगों को लगा कि वैशाली के खंडहरों में एक बार फिर आम्रपाली […]
वैशाली : तीन दिवसीय वैशाली महोत्सव के दूसरे दिन कलाकारों द्वारा एक से बढ़ कर एक लोकगीत और लोकनृत्य की प्रस्तुति की गयी. गीत-संगीत का ऐसा समां बंधा कि लोगों को लगा कि वैशाली के खंडहरों में एक बार फिर आम्रपाली उतर आयी है. आम्रपाली की रंगभूमि में पायलों की झंकार और तबलों की थाप का श्रोताओं ने जम कर आनंद उठाया. सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत राज्यस्तरीय युवा महोत्सव विजेता ब्रजेश कुमार की टीम द्वारा गाये लोक गीत -गंडक की लहरों पर राज तराना है,
वैशाली की वैभव का इतिहास पुराना है.. से हुई. वहीं, इनके द्वारा बेटी बचाओ पर गाये गये गीत- कइसन जमाना आइल समझ में न आये, कोखिए में बेटी लगले मराये.. को दर्शकों ने काफी सराहा. वैशाली संगीत कला मंच के कला संरक्षक द्वारा निर्देशित महावीर जन्मोत्सव पर आधारित लघु नाटक को लोगों ने खूब सराहा.
वहीं, इनकी टीम की रिंकी कुमारी द्वारा गाये गीत -तीर्थंकर महावीर के जानेला जहनवा, चल सजनवा चल देख ली वैशाली घर अंगनवा… पर खूब तालियां बजीं. साथ ही इनके टीम की सोनी कुमारी द्वारा गाये सोहर, धावा, झूमर आदि ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया. इसके बाद सारण के रिविलगंज की बेटी अनुभूति शांडिल्य द्वारा एक से बढ़ कर एक गीत और संगीत की प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया. झारखंड के नामचीन कलाकार प्रभात कुमार महतो के छऊ एव मुखौटा नृत्य ने दर्शकों ने खूब सराहा. श्री कुमार ने अपनी अदा से दर्शकों काे भरपूर आनंदित किया.
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