पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की
सहरसा : जन अधिकार पार्टी के संरक्षक और सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर उनकी गिरफ्तारी और हथकड़ी लगाकर स्थानीय अदालत में पेश करने के मामले को मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन बताया है और इस कानून के तहत दोषी पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ आयोग से कार्रवाई की मांग की है. सांसद के सचिव के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, सांसद ने आयोग को भेजे पत्र में 27 मार्च के विधानसभा मार्च और 1 अप्रैल की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा है कि 27 मार्च को प्रशासन ने उनकी हत्या की साजिश की थी. लेकिन सीआरपीएफ के जवानों की सुरक्षा के कारण उनकी जान बच सकी और वे सुरक्षित अपने आवास पहुंच सके. धरना स्थल से आवास पर लौटने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गयी थी. जिसके बाद घरवालों की सूचना पर आइजीआइएमस के डॉक्टरों ने जांच की. जांच के बाद डॉक्टरों ने ब्लड प्रेशर अधिक होने, गंभीर चोट और पल्स रेट कम होने के कारण आराम की सलाह दी.
लेकिन आवास पर पुलिस पदाधिकारी शिबली नुमानी और कैलाश गुप्ता ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और अस्वस्थ होने के बाद भी उन्हें जेल भेज दिया गया. इस दौरान कैसर शिबली नोमानी के साथ-साथ कैसर आलम, संजीव शेखर झा, गुलाम गौस व अन्य पुलिसकर्मी ने उन्हें गालियां देते हुए घसीट कर ले जाने की धमकी दी. सांसद ने लिखा कि ऐसा लग रहा था मानों सब मिलकर उनकी हत्या वहीं कर देना चाहते थे. उन्होंने लिखा है कि 1 अप्रैल को भी न्यायालय में पेशी के दौरान उन्हें हथकड़ी लगाकर पेश किया गया. प्रशासनिक की मंशा अपमानित करने की थी. आयोग को भेजे पत्र में उनके मानवाधिकारों की रक्षा की मांग की गयी है, ताकि लोकतंत्र में आम आदमी की आवाज को सम्मान मिल सके.