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3.08 करोड़ के टेंडर के कमीशन पर नजर

धनबाद : बेकारबांध (राजेंद्र सरोवर) के सौंदर्यीकरण को ले कर नगर निगम एवं जिला परिषद के बीच विवाद क्यों? यह सवाल शहर में तेजी से उठ रहा है. कोई इसे कमीशन की चाह तो कोई वर्चस्व की लड़ाई मान रहा है. यह तालाब अब तक जिला परिषद के अधीन है. जबकि सौंदर्यीकरण का काम नगर […]

धनबाद : बेकारबांध (राजेंद्र सरोवर) के सौंदर्यीकरण को ले कर नगर निगम एवं जिला परिषद के बीच विवाद क्यों? यह सवाल शहर में तेजी से उठ रहा है. कोई इसे कमीशन की चाह तो कोई वर्चस्व की लड़ाई मान रहा है.
यह तालाब अब तक जिला परिषद के अधीन है. जबकि सौंदर्यीकरण का काम नगर निगम करा रहा है. जब तक टेंडर नहीं हुआ था, तब तक कोई विवाद नहीं हुआ. तीन करोड़ से अधिक राशि के टेंडर होने के बाद ही विवाद होने से कमीशन की चाहत का आरोप अस्वाभाविक भी नहीं है. विकास योजनाओं में नगर निगम में 15 से 16 फीसदी कमीशन लिया जाता है. जबकि जिला परिषद में भी कमीशन की दर कमोवेश यही है. यानी कमीशन के नाम पर 45 से 50 लाख रुपये बंटने हैं. विवाद की मूल वजह यही है.
किसके इशारे पर कर्मियों ने की लठैती : बेकारबांध में टेंडर के बाद शुरू हुए सौंदर्यीकरण कार्य को रोकने के लिए जिप कर्मी अचानक क्यों गये? इस पर किसी के पास कोई ठोस जवाब नहीं है. चर्चा है कि कतिपय लोगों ने निजी स्वार्थ के लिए कर्मियों को उकसाया. हालांकि कर्मचारी संघ का दावा है कि संस्थान हित में वे लोग स्वत: वहां काम रोकने गये थे. ताकि अविभाजित बिहार के समय जिला परिषद की जो माली हालत हुई थी, वह फिर नहीं हो. जिप के अध्यक्ष रोबिन गोराई, जिप कर्मचारी संघ के अध्यक्ष जावेद इकबाल ने कहा कि जिला परिषद को कहीं से कोई फंड नहीं आता. ग्रामीण विकास विभाग का भी पत्र आया है कि जिप अपनी संपत्ति से आमदनी बढ़ाये और उससे ही विकास करे. बेकारबांध उसकी आय का स्रोत है.

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