दो अापराधिक गुटों में टकराव बनी है पुलिस के लिए चुनौती
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खनन क्षेत्र में हो रही वर्चस्व की जंग !
दो अापराधिक गुटों में टकराव बनी है पुलिस के लिए चुनौती सासाराम नगर : मुफस्सिल थाना क्षेत्र अंतर्गत खनन क्षेत्र में वर्चस्व को लेकर जंग छिड़ गयी है. पूरी तरह अवैध पत्थर कारोबार में पहले से ही अपराधियों की घुसपैठ है. इन अपराधियों के संरक्षण में अन्य लोग पत्थर का कारोबार कर रहे हैं. ये […]
सासाराम नगर : मुफस्सिल थाना क्षेत्र अंतर्गत खनन क्षेत्र में वर्चस्व को लेकर जंग छिड़ गयी है. पूरी तरह अवैध पत्थर कारोबार में पहले से ही अपराधियों की घुसपैठ है. इन अपराधियों के संरक्षण में अन्य लोग पत्थर का कारोबार कर रहे हैं. ये लोग अपनी कमाई का कुछ हिस्सा इनको देते हैं. बदले में इन्हें संरक्षण मिलता है. इन दिनों एक पुराना अपराधी जेल से जमानत पर छूटा है, जो अपने खास लोगों को एक जुट कर इस धंधे पर वर्चस्व कायम करने में लगा है. इस अपराधी को एक खास जाति का सहयोग प्राप्त है. कुछ बड़े माफिया इस अपराधी को आगे कर अपने व्यवसाय को बढ़ाने की जुगत में हैं.
जेल में बंद रहने से इसकी माली स्थिति गड़बड़ा गयी है. जल्द पैसा कमाने की फिराक में लगा अपराधी किसी भी हद तक जा सकता है. इधर, दूसरा गुट टीपीसी (तृतीय प्रस्तुत कमेटी) से प्रभावित लोग हैं. इसमें स्थानीय लोगों की भरमार है. इस गुट में बड़े माफियाओं की संख्या कम है. ज्यादातर लोग छोटे पैमाने पर ही धंधा करते हैं. इनकी सबसे बड़ी ताकत इनकी संख्या व एकजुटता है. वहीं, दूसरा गुट पूर्णरूप से व्यवसायी है जो इस अपराध को मोहरा बना अपना उल्लू सीधा करने में लगा है.
एक गुट को पुलिस के कुछ लोग दे रहे मौन संरक्षण: जानकार बताते हैं कि एक गुट को पुलिस का मौन संरक्षण प्राप्त है. पुलिस के कुछ लोग इनकी टकराहट को अपने हक में बताते हैं. इनका मानना है कि ये आपस में उलझे रहेंगे. मदद के लिए दोनों गुट पुलिस के पास आयेंगे. दोनों तरफ से कमाई होगी. खनन तो रूकेगा नहीं. क्यों नहीं इसी बहाने अपना भी कुछ भला हो जाये. टीपीसी समर्थित गुट एक वर्ष से पुलिस का नाको दम कर रखा था. जब से यह जेल से छूट कर आया है. स्थिति पर नियंत्रण होने लगा है. इस धंधे पर किसी एक गुट का मोनोपाली पुलिस के लिए बेहतर नहीं माना जा सकता. विश्वस्त सूत्र बताते हैं
कि गत सप्ताह करवंदिया गुमटी पर खनन क्षेत्र से निकलने वाले वाहनों पर उक्त अपराधी ने गोली बारी की थी. उसे सभी वाहनों से रंगदारी चाहिए. वहीं, क्रशर मंडी से जो वाहन गिट्टी लोड कर निकल रहे हैं. उससे रंगदारी मिनी शुरू हो गयी है. गोलीबारी की घटना की जानकारी पुलिस को लग गयी है. लेकिन, पुलिस वेट एंड वाच की रणनीति पर चल रही है. अब देखना है कि पुलिस खनन क्षेत्र में दोनों गुटों की आपसी टकराहट से कैसे निपटती है.
पुलिस के लिए चुनौती
दो गुटों की टकराहट से खनन क्षेत्र में कभी भी खून-खराबा हो सकता है. इन्हें रोकना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनी है. पुलिस जानती है कि अगर खनन क्षेत्र में किसी प्रकार की घटना हुई तो पुलिस की पोल खुल जायेगी. हर माह स्थानीय स्थानीय प्रशासन मुख्यालय में खनन नहीं होने का रिपोर्ट भेजती है. जैसे ही खनन क्षेत्र में किसी प्रकार की घटना हुई तो यह साबित हो जायेगा कि प्रशासन द्वारा खनन नहीं होने की रिपोर्ट गलत है. वहीं, अपराधियों को सिस्टम से कोई मतलब नहीं होता. इन्हें तो अपनी मनमर्जी ही भाता है.
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