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बात ”स्मार्ट किसान” की

गिरींद्र नाथ झा किसान एवं ब्लॉगर लीची बगान में नरेश से मुलाकात हुई, बात हुई. नरेश ने कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की है और अब वह किसानी करेगा. नरेश का सवाल है कि क्या स्मार्ट सिटी की तरह स्मार्ट किसान बनाने की भी कोई सरकारी योजना है? दरअसल, हम सब स्मार्ट शब्द के मायाजाल में […]

गिरींद्र नाथ झा
किसान एवं ब्लॉगर
लीची बगान में नरेश से मुलाकात हुई, बात हुई. नरेश ने कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की है और अब वह किसानी करेगा. नरेश का सवाल है कि क्या स्मार्ट सिटी की तरह स्मार्ट किसान बनाने की भी कोई सरकारी योजना है? दरअसल, हम सब स्मार्ट शब्द के मायाजाल में फंस चुके हैं.
कुछ लोग कह रहे हैं कि यह देश का स्मार्ट काल है. किसानी को लेकर हम ढेर सारी बातें-बहस करते हैं, लेकिन खेत-खलिहान के बीच जूझते किसान को एक अलग रूप में पेश करने के लिए हम अब तक तैयार नहीं हुए हैं. हालांकि, देश में ऐसे कई किसान होंगे, जो अपने बल पर बहुत कुछ अलग कर रहे हैं.
स्मार्ट किसान बात आते ही मक्का की खेती में जुटे किसान याद आने लगते हैं. वैसे तो विकास के कई पैमानों पर बिहार का पूर्णिया, किशनगंज, सीमांचल के अन्य इलाके देश के दूसरे कई हिस्सों से पीछे हैं, लेकिन मक्का उत्पादन में इन इलाकों के किसानों का प्रदर्शन जबरदस्त है. अक्तूबर में बोई जानेवाली मक्के की रबी फसल का औसतन उत्पादन बिहार में तीन टन प्रति हेक्टेयर है, हालांकि यह तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन से कम है.
मक्के की खेती से जमीन को होनेवाले नुकसान पर भी बातें हो रही है, लेकिन इस फसल ने जिस तरह से किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाया है, वह काबिले तारीफ है. कहा जाता है कि मक्का से किसानों ने पक्का मकान का सफर तय किया है. सफेद मक्का स्वादिष्ट होता है, लेकिन पीले मक्के की तरह पोषक तत्वों से भरपूर नहीं होता, क्योंकि इसमें बीटा कैरोटीन और विटामिन ए नहीं होता है. इसके बावजूद सफेद मक्के की पैदावार दोगुनी होती है. स्मार्ट किसान बनने की ट्रेनिंग शायद मक्का ही दे रहा है. गौरतलब है कि मक्का से पहले बिहार के इन इलाकों में जूट की खूब खेती होती थी.
मक्का की खेती ने किसानों को वैज्ञानिक खेती के तौर-तरीके के करीब ला दिया है. मक्के की फसल बाजार में तब पहुंचती है, जब बाजार में आपूर्ति कम होती है. जीडीपी की वृद्धि में मक्के का भी योगदान है. सरकार फूड प्रोसेसिंग कंपनियों को सीधे किसानों से मक्का खरीदने की इजाजत देकर मक्के की खेती को बढ़ावा दे सकती है, लेकिन हमारी कई राज्य सरकारें ऐसा नहीं करती हैं.
अब वक्त आ गया है कि हम किसानी को एक पेशे की तरह पेश करें. दरअसल, किसान को हमें केवल मजबूत ही नहीं, बल्कि स्मार्ट भी बनाना होगा. वैसे यह भी सच है कि स्मार्ट सिटी की बहसों के बीच स्मार्ट किसान हमें खुद ही बनना होगा.

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