रांची: मनरेगा का ऑनलाइन मैनेजमेंट इंफॉरमेशन सिस्टम (एमआइएस) इस कार्यक्रम में पारदर्शिता लाने की बेहतर पहल है. एमआइएस पर सभी जॉब कार्ड, मस्टर रोल व मजदूरी सहित निर्माण सामग्री पर हुए खर्च का विवरण उपलब्ध रहता है. पिछले कुछ वर्षों से ग्रामीण विकास मंत्रालय मनरेगा के कार्यान्वयन की एमआइएस पर निर्भरता बढ़ाता जा रहा है.
पर सरकारी स्तर पर एमआइएस में संशोधन से इस कार्यक्रम को प्रभावित करने की भी शिकायतें मिल रही हैं. यह कहना है पीपुल्स एक्शन फॉर इंप्लॉयमेंट गारंटी नाम की संस्था का. संस्था के अनुसार ये संशोधन बिना किसी चर्चा या पारदर्शिता के साथ किये जाते हैं. इनके बारे में तभी पता चलता है, जब इससे मजदूरों के अधिकारों का हनन होता है.
इससे योजना में आ रही है कई तरह की परेशानियां
जिन परिवारों को 100 दिन का काम आवंटित हुआ है, उन्होंने उन पूरे 100 दिन काम किया हो. पर एमआइएस में एेसा बदलाव किया गया है कि शेष दिनों का काम आवंटित नहीं हो रहा. पहले एमअाइएस में बंद योजनाअों को भुगतान पूरा नहीं होने पर फिर से खोला जा सकता था. पर अब ऐसा संभव नहीं है. एमआइएस में बदलाव के कारण कई दिन एेसा हुअा कि जिन जॉब कार्डधारी परिवारों की फोटो एमआइएस में नहीं चढ़ी थी, उनको काम आवंटित नहीं हो रहा था.
पिछले वर्ष गरमी में जब मनरेगा के तहत काम की मांग सुखाड़ के कारण बढ़ गयी थी, तब कई सप्ताह तक मंत्रालय ने एमआइएस के जरिये योजनाओं में सामग्री भुगतान रोक दिया था. इससे न केवल योजनाओं को पूर्ण करने में विलंब हुआ, बल्कि सामग्री के अभाव में कई कूप भी धंस गये. कुछ माह पूर्व मंत्रालय ने एमआइएस से बेरोजगारी भत्ते की रिपोर्ट हटा दी है. राज्यों को बेरोजगारी भत्ते के भुगतान की मॉनिटरिंग में परेशानी हो रही है.