नारद और सारदा घोटालों में संलिप्त नेताओं को फौरन गिरफ्तार करना चाहिए. मुख्यमंत्री को भी जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए, क्योंकि वे उनकी पार्टी के नेता और राज्य के कैबिनेट मंत्री हैं, जो इसमें संलिप्त पाये गये हैं. उन्होंने कहा कि अब तृणमूल कांग्रेस कह रही है कि यह पार्टी को मिला चंदा था, लेकिन जब नारद टेप पहली बार सामने आया, तब उन्होंने कहा था कि टेप फरजी और गढ़ा हुआ है. इसका मतलब है कि वे लोग अब अपने ही बयानों से विरोधाभासी बातें कह रहे हैं. श्री मिश्रा ने आरोप लगाया कि तृणमूल मणिपुर में भाजपा को सरकार बनाने में मदद कर रही है, जो दोनों पार्टियों के बीच एक गुप्त समझौते का उदाहरण है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि दीदीभाई और मोदीभाई के बीच मैच फिक्सिंग का सीबीआइ जांच पर असर नहीं पडेगा और जांच एजेंसी को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जायेगा़ ” गौरतलब है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पिछले हफ्ते नारद स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआइ द्वारा एक प्राथमिक जांच करने का आदेश दिया था़ इस स्टिंग में तृणमूल के कई नेताओं को कथित तौर पर रिश्वत लेते देखा गया था.