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आसान हुई जीएसटी की राह, संबंधी पूरक विधेयकों को मंत्रिमंडल की मंजूरी

नयी दिल्ली : देश में अप्रत्यक्ष कर की नयी प्रणाली वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को एक जुलाई से लागू करने की दिशा में एक और कदम बढाते हुये केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज इससे जुडे चार विधेयकों के प्रारुप को मंजूरी दे दी. जीएसटी व्यवस्था लागू होने से देश की आर्थिक वृद्धि दर दो प्रतिशत तक […]

नयी दिल्ली : देश में अप्रत्यक्ष कर की नयी प्रणाली वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को एक जुलाई से लागू करने की दिशा में एक और कदम बढाते हुये केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज इससे जुडे चार विधेयकों के प्रारुप को मंजूरी दे दी. जीएसटी व्यवस्था लागू होने से देश की आर्थिक वृद्धि दर दो प्रतिशत तक बढ सकती है.

जीएसटी लागू होने के बाद पांच साल तक राज्यों में संभावित राजस्व नुकसान की भरपाई के प्रावधान वाले विधेयक सहित राज्यों के भीतर और बाहर वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर शुल्क लगाने और उसकी वसूली का अधिकार देने वाले चार विधेयकों को इसी सप्ताह संसद में पेश कर दिया जायेगा. विधेयकों पर संसद की मुहर और अलग से तैयार राज्य जीएसटी विधेयक को राज्यों की विधानसभाओं में मंजूरी मिलने के बाद पूरे देश में जीएसटी व्यवस्था को लागू करने की विधायी प्रक्रिया पूरी हो जायेगी.
उल्लेखनीय है कि जीएसटी के लागू होने पर केंद्रीय स्तर पर लगने वाले उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों में लगने वाला मूल्य वर्धित कर ( वैट) सहित कई अन्य कर इसमें समाहित हो जायेंगे. जीएसटी परिषद पहले ही जीएसटी व्यवस्था में चार दरें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत तय कर चुकी है. लक्जरी कारों, बोतल बंद वातित पेयों और तंबाकू उत्पाद जैसी अहितकर वस्तुओं पर इसके उपर अतिरिक्त उपकर भी लगाया जायेगा.
किस वस्तु अथवा सेवा पर किस दर से जीएसटी लगेगा यह काम अगले महीने शुरु हो जायेगा. यहां जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जीएसटी से जुडे चार विधेयकों — केंद्रीय जीएसटी विधेयक 2017 (सी-जीएसटी बिल), एकीकृत जीएसटी विधेयक 2017 (आई-जीएसटी बिल) , केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी-जीएसटी बिल) और वस्तु एवं सेवाकर (राज्यों को मुआवजा) विधेयक 2017 (मुआवजा विधेयक) को मंजूरी दे दी गई.
सूत्रों ने बताया, इन विधेयकों को धन विधेयक के तौर पर इसी सप्ताह संसद में पेश किया जायेगा.. उन्होंने कहा इन सभी विधेयकों पर एक साथ चर्चा हो सकती है. मंत्रिमंडल की आज की बैठक में जीएसटी ही एकमात्र एजेंडा था. सरकारी वक्तव्य में कहा गया है, सरकार देश में जीएसटी व्यवस्था जल्द से जल्द लागू करने के लिये प्रतिबद्ध है. जीएसटी परिषद ने एक जुलाई से जीएसटी लागू करने का फैसला किया है. जीएसटी को हाल के वषोंर् में सबसे बडे कर सुधारों के तौर पर देखा जा रहा है. वक्तव्य में कहा गया है कि जीएसटी लागू होने से भारतीय उत्पाद घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी हो जायेंगे.
जीएसटी परिषद ने इस महीने हुई अपनी पिछली दो बैठकों में पूरक विधेयकों पर अपनी सहमति जताई थी. वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘केंद्रीय जीएसटी से केंद्र सरकार को राज्यों के भीतर वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर जीएसटी लगाने और वसूलने अथवा दोनों का अधिकार मिलेगा, वहीं एकीकृत जीएसटी में अंतर-राज्यीय स्तर पर वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर लगाने और वसूली करने अथवा दोनों का अधिकार केंद्र को मिलने का प्रावधान होगा.
इसी प्रकार केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी विधेयक, जहां विधानसभायें नहीं हैं, में वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर कर लगाने का अधिकार केंद्र को दिया जायेगा. मुआवजा विधेयक में राज्यों को संभावित राजस्व नुकसान की भरपाई का प्रावधान है. यह जीएसटी लागू होने के पहले पांच साल के दौरान राज्यों को राजस्व का नुकसान होने की स्थिति में उन्हें. मुआवजा देने के बारे में है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के बजट में कहा है कि व्यापार एवं उद्योग को जीएसटी के प्रावधानों को समझाने के लिये देशव्यापी अभियान चलाए जाएंगे. खैतान एण्ड कंपनी के भागीदारी अभिषेक रस्तोगी ने टिप्पणी करते हुये कहा, ‘‘जीएसटी योजना समय के अनुरुप आगे बढ रही है और अब एक जुलाई से इसके लागू होने की उम्मीद वास्तविक लगती है.

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