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आरोपित थानेदार को ही बनाया जांच अधिकारी

मुजफ्फरपुर: पुलिस की कार्यशैली पर हमेशा ही सवाल उठता रहा है. इधर एक बार फिर यहां का पुलिस महकमा अपने कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में है. मामला बोचहां थाने के कर्णपुर उत्तरी गांव का है. इस गांव का एक चिकित्सक परिवार पुलिस की कार्यशैली से ही परेशान है. थाना क्षेत्र के मझौली स्थित अपनी जमीन […]

मुजफ्फरपुर: पुलिस की कार्यशैली पर हमेशा ही सवाल उठता रहा है. इधर एक बार फिर यहां का पुलिस महकमा अपने कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में है. मामला बोचहां थाने के कर्णपुर उत्तरी गांव का है. इस गांव का एक चिकित्सक परिवार पुलिस की कार्यशैली से ही परेशान है. थाना क्षेत्र के मझौली स्थित अपनी जमीन पर दवाखाना का निर्माण करा रहें चिकित्सक डॉ. सुरेश लाल साह से स्थानीय रामश्रृंगार सहनी ने एक लाख की रंगदारी मांगी थी.

इनकार करने पर निर्माण कार्य पर रोक तो लगा ही दिया और जब वे इस मामले की शिकायत स्थानीय थाना में किये तो उसके जान के पीछे ही पड़ गया. वहीं पुलिस इस मामले में पीड़ित चिकित्सक को कानूनी मदद पहुंचाने के बजाय आरोपित के पक्ष में ही उतर गयी. पुलिस के इस कारनामे की शिकायत उन्होंने डीजीपी को आवेदन देकर की. डीजीपी भी मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी को पत्र लिख इस मामले की जांच कर दोषी पर कार्रवाई का निर्देश दिया. लेकिन एसएसपी कार्यालय ने थानेदार पर लगे आरोपों की जांच किसी वरीय अधिकारी से कराने के बजाय उसे ही दे दिया. एसएसपी कार्यालय के इस कार्यशैली से चिकित्सक परिवार हैरान है.

कर्णपुर उत्तरी गांव निवासी डॉ. सुरेश लाल साह का पूरा परिवार चिकित्सा सेवा से जुड़ा है. उनका बड़ा पुत्र प्रशांतपुंज भारती और बहू भी चिकित्सक है. दोनों दरभंगा में पदस्थापित हैं. बोचहां थानाक्षेत्र के वाजितपुर मझौली में सितंबर 2016 में डॉ. सुरेश 1.75 डी. जमीन केवाला लेकर उसपर दवाखाना का निर्माण करा रहें थे. इसी बीच मझौली गांव का रामश्रृंगार सहनी और उनका सहयोगी नरेश राय उनके लड़के से एक लाख की रंगदारी मांगी. इनकार करने पर निर्माण कार्य को रोकवा दिया.
कार्रवाई के लिए पुलिस को दिया आवेदन : रामशृंगार के इस कारगुजारियों की लिखित शिकायत 1 दिसंबर 2016 को उन्होंने बोचहां थानाध्यक्ष धनंजय शर्मा से की. इसके बाद उन्हें जान मारने की धमकी भी मिलने लगी. इसके बाद वे फिर 8 दिसंबर व 12 दिसंबर 2016 को थाने पर आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की. लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. मामले की प्राथमिकी तक थाने में दर्ज नहीं हो सकी. उल्टे थानाध्यक्ष धनंजय उनसे की रामश्रृंगार सहनी जैसे दबंगों से तकरार नहीं करने की राय देनी शुरू कर दी.
जान के पीछे पड़ गये आरोपित : आरोपितों के विरुद्ध आवेदन देने के बाद उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. थानाध्यक्ष इस मामले के आरोपित नरेश राय से ही अावेदन लेकर दवाखाना निर्माण कार्य को रोकने की कार्रवाई कर दी. वहीं आरोपित उनकी जान लेने की साजिश रचने लगे. इसर्ग्ष 9 जनवरी की रात नौ बजे उनके दरवाजे पर स्कॉर्पियों गाड़ी से पहुंचे कुछ अज्ञात लोग मोबाइल से उनकी फोटों खींच फरार हो गये. इस घटना के बाद उनका पूरा परिवार दहशत में आ गया.
डीजीपी को दिया आवेदन : पुलिस की कार्यशैली से क्षुब्ध डॉ. सुरेश लाल 11 जनवरी को डीजीपी को आवेदन देकर बोचहां थानाध्यक्ष सहित मामले में आरोपित रामश्रृंगार सहनी,रामश्रेष्ठ सहनी और नरेश राय पर कार्रवाई की मांग की. पुलिस महानिदेशक को दिये आवेदन में उन्होंने रामश्रृंगार सहनी पर थाने में अपहरण,राहजनी,डकैती,रंगदारी जैसे संगीन मामलों में दर्ज करीब 29 मामलों का भी जिक्र किया था. डीजीपी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और एसएसपी विवेक कुमार को पत्र भेज इस मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया था.
डीजीपी का निर्देश मिलने के बाद एसएसपी कार्यालय ने इस मामले के जांच का निर्देश जारी किया. लेकिन आश्चर्य की बात यह कि थानेदार पर लगे आरोपों की जांच किसी वरीय पदाधिकारी से नहीं करा आरोपित थानेदार को ही दे दिया.

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