धनबाद : तमाम अफवाहों को खारिज करते हुए पांच केंद्रीय मजदूर संगठनों के नेताओं ने एक सुर में कहा कि कोयला मजदूरों का दसवां वेतन समझौता पांच साल के लिए होगा. दसवें जेबीसीसीआइ से बाहर इंटक और जेबीसीसीआइ में शामिल बीएमएस, सीटू, एटक और एचएमएस के नेताओं ने कहा कि कुछ लोग अफवाह फैला कर कोयला मजदूरों को गुमराह कर रहे है.
क्या है मामला : पीएसयू अधिकारियों के वेतन के लिए गठित जस्टिस सतीश चंद्रा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी. थर्ड पीआरसी के नाम से चर्चा में आयी उक्त रिपोर्ट में पीएसयू अधिकारियों के वेतन की अनुशंसा की गयी है. उसी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए सोशल मीडिया में मैसेज वायरल हुआ है कि कोल कामगारों का वेतन समझौता अधिकारियों की तरह दस साल के लिए होगा. और अधिकारियों की वेतन वढ़ोतरी 15 प्रतिशत की अनुशंसा के आलोक में कोल मजदूरों का वेतन भी इससे अधिक नहीं बढ़ेगा. लेकिन यूनियन लीडर इसे खारिज करते हैं.
नवें वेतन समझौता के समय सरकार ने 10 साल के लिए दबाव डाला था, जिसे हमलोगों ने नहीं माना. हम लोगों को अधिकारियों की अनुशंसा से कोई लेना-देना नहीं है. मजदूरों का अलग वेज बोर्ड है. हम अधिकारियों से तुलना नहीं करते.
रमेंद्र कुमार, अध्यक्ष, एटक व जेबीसीसीआइ सदस्य
अधिकारियों की अनुशंसा वर्करों पर लागू नहीं होती है. यह पहले ही तय हो चुका है कि कोयला मजदूरों का वेतन समझौता पांच साल के लिए होगा. अधिकारियों की वेज रिवीजन कमेटी हमलोगों के लिए अनुशंसा कैसे कर सकती है.
बीके राय, अध्यक्ष एबीकेएमएस व जेबीसीसीआइ सदस्य
कोयला मजदूरों के बारे में कोई भी अनुशंसा करने का अधिकार सतीश चंद्र कमेटी को है ही नहीं. उसकी किसी भी अनुशंसा को हम नहीं मानेंगे. वेतन समझौता पांच साल के लिए ही होगा. अगर प्रबंधन जबरन थोपने का प्रयास करेगा तो आंदोलन में जायेंगे.
डीडी रामानंदन, महासचिव एआइसीडब्ल्यूएफ व जेबीसीसीआइ सदस्य
सतीश चंद्रा कमेटी ने अधिकारियों के वेतन के बारे में अनुशंसा की है. उससे हमलोगों का कोई लेना-देना नहीं है. हमलोगो का अलग पैटर्न है.अधिकारियों का वेतन समझौता दस साल का होता है.
नथ्थुलाल पांडेय, महामंत्री एचकेएमएफ व जेबीसीसीआइ सदस्य
इसके पहले सरकार ने दस साल के लिए आदेश जारी किया था. लेकिन हमलोगों ने आदेश को ठुकराते हुए पांच साल के लिए समझौता किया था. इस बार भी पांच साल के लिए ही होगा.
एसक्यू जामा, महामंत्री राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन