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अभ्युदय व रंजना, जयपुर में दिखायेंगे जलवा
मुजफ्फरपुर : ‘‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है.’’ इसे सच कर दिखाया है, आरबीटीएस कॉलेज में क्लर्क की नौकरी करने वाले सिद्धेश्वरनाथ की पुत्री रंजना कुमारी व पुत्र अभ्युदय शरण ने. दोनों का कद करीब साढ़े चार फुट है. शुरुआत […]
मुजफ्फरपुर : ‘‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है.’’ इसे सच कर दिखाया है,
आरबीटीएस कॉलेज में क्लर्क की नौकरी करने वाले सिद्धेश्वरनाथ की पुत्री रंजना कुमारी व पुत्र अभ्युदय शरण ने. दोनों का कद करीब साढ़े चार फुट है. शुरुआत में लोगों ने इसको लेकर मजाक भी उड़ाया. लेकिन, आज उन्होंने अपने इस कद को ही अपना हथियार बना लिया है. ये दोनों 30 मार्च से चार अप्रैल तक जयपुर में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय दिव्यांग खेलकूद प्रतियोगिता में बिहार का प्रतिनिधित्व करेंगे.
उनका चयन 26 व 27 फरवरी को जहानाबाद में आयोजित राज्यस्तरीय अंतर प्रमंडल दिव्यांग खेलकूद प्रतियोगिता व नौ मार्च को पटना में आयोजित ट्रायल में प्रदर्शन के आधार पर हुआ है. रंजना जहां 150 मीटर, 200 मीटर दौड़ व लंबी कूद प्रतियोगिता में हिस्सा लेगी. वहीं अभ्यूदय 100 मीटर, 50 मीटर व भाला प्रक्षेपण स्पर्धा में भाग लेंगे. अभ्यूदय ने बीते 26 व 27 फरवरी को जहानाबाद में आयोजित राज्य स्तरीय अंतर प्रमंडल दिव्यांग खेलकूद प्रतियोगिता में तीनों स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीता था. माड़ीपुर पीडब्ल्यू चौक पर रहने वाले सिद्धेश्वरनाथ की कुल तीन संतानें हैं. इसमें सबसे बड़ी बेटी निभा कुमारी (30) है.
मुजफ्फरपुर : ‘किलकारी’ योजना के तहत विशेष प्रतिभावाले बच्चों को राष्ट्रीय बालश्री सम्मान दिया जायेगा. इसके लिए सृजनात्कता के आधार पर जिले के अलग-अलग क्षेत्रों से 20 बच्चों का चयन करके राज्य मुख्यालय को भेजना है. बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य निदेशक ने डीइओ से जनपद स्तरीय प्रतियोगिता करा कर 30 अप्रैल तक चयनित बच्चों की सूची राज्य कार्यालय को भेजने का निर्देश दिया है. इस प्रतियोगिता में 10 से 16 वर्ष तक के बच्चों को शामिल करना है. बालश्री सम्मान के लिए जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता का आयोजना करना है. जिले से चयनित छात्र-छात्राओं के बीच राज्यस्तरीय प्रतियोगिता होगी. ‘किलकारी’ की ओर से इसके लिए चार मुख्य विद्यालय व उसके चार-चार उप विषय निर्धारित किये गये हैं. सभी वर्ग से एक-एक बच्चे का चयन किया जाना है. निदेशक संजय सिंह ने पत्र में बताया है कि प्रतियोगिता में स्कूलों के साथ कस्तूरबा विद्यालय व उड़ान में चिह्नित बच्चों को भी नामित किया जा सकता है.
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